हालांकि उस दौरान सपा के गामा पाण्डे जीते थे और बाबा तिवारी बसपा के बाद तीसरे स्थान पर थे। इसके पूर्व बाबा तिवारी जिला पंचायत सदस्य भी थे।
इस विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन होने से बाबा तिवारी को बड़ा झटका मिला। क्योंकि मेजा विधानसभा सीट से कांग्रेस ने बाबा तिवारी को टिकट ना देकर सपा को अपना प्रत्याशी खड़ा करने के लिए कहा। बावजूद इसके बाबा ने निषाद पार्टी का समर्थन लेकर पर्चा दाखिल किया। जिसमें उनकी हार हुई। इसके बाद से बाबा तिवारी कांगे्रस से कतराने लगे थे।