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गुर्दे की बीमारी की जल्द पहचान करेगी नई जांच

Published: Apr 23, 2015 07:24:00 pm

Submitted by:

Rakesh Mishra

नए अध्ययन
के लिए शोधकर्ताओं ने चूहे के गुर्दे के उत्तकों की कोशिकाओं पर ध्यान केंद्रित
किया

Kidney disease

Kidney disease

लंदन। गुर्दा रोगों की जांच में चिकित्सकों को अब बेहद सहूलियत होगी, क्योंकि जल्द ही एक ऎसी जांच उपलब्ध होने वाली है, जो गुर्दे के रोग की पहचान उसका लक्षण सामने आने के पहले ही कर लेगी। एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। ब्रिटेन के युनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर की रचेल लेनॉन ने कहा, हमें उम्मीद है कि हमारा शोध एक ऎसी जांच के विकास में मददगार साबित होगा, जो गुर्दे के क्षतिग्रस्त होने के पहले ही उसकी बीमारी को बेहद पहले पकड़ लेगा।

दरअसल, शोधकर्ता यह जानना चाहते थे कि कुछ लोग नस्ल व लिंग की वजह से क्यों गुर्दे के रोगों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। उन्होंने कहा, यह जाना माना तथ्य है कि कोकेशियान नस्ल के लोगों की तुलना में अफ्रीकी-कैरीबियाई लोगों तथा महिलाओं की तुलना में पुरूषों को गुर्दे की बीमारी अधिक होती है।

नए अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने चूहे के गुर्दे के उत्तकों की कोशिकाओं पर ध्यान केंद्रित किया। वे यह जानना चाहते थे कि गुर्दे की बीमारियां आखिर होती क्यों हैं। विभिन्न अनुवांशिक पृष्ठभूमि तथा लिंग के चूहों के उत्तकों का मास स्पेक्ट्रोमेट्री से अध्ययन किया गया, जिनमें से कुछ के गुर्दे संदिग्ध तौर पर खराब हो चुके थे।

शोध दल ने उत्तकों में किडनी फिल्टर की रचनाएं अलग-अलग पाई। लेनॉन ने कहा, हमारे लिए सबसे विस्मयकारी बात यह रही कि जिन चूहों की किडनी फिल्टर की रचना बिगड़ी हुई थी, उनमें बीमारी का कोई लक्षण नहीं था और वे पूरी तरह स्वस्थ थे। उनके गुर्दे देखने में सामान्य लग रहे थे। यह अध्ययन पत्रिका “अमरीकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी” में प्रकाशित हुआ है।
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