पेन किलर तो नहीं खत्म कर रहे आपकी फीलिंग!
Published: Dec 11, 2016 10:35:00 am
पेन किलर (दर्द निवारक दवाइयां) दर्द दूर करने के साथ साथ इंसान की
संवेदनाएं कम करने और अस्थमा के मरीज की तकलीफ बढ़ाने का भी काम कर करती
हैं
आमतौर पर शरीर के हर दर्द में कई बार बिना डॉक्टर की परामर्श के पेन किलर (दर्द निवारक दवाइयां) दर्द दूर करने के साथ साथ इंसान की संवेदनाएं कम करने और अस्थमा के मरीज की तकलीफ बढ़ाने का भी काम कर करती हैं। अंतरराष्ट्रीय पत्रिका सोशल कॉग्निटिव एंड एफेक्टिव न्यूरोसाइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार सिर दर्द, मांसपेशियों की अकडऩ, अर्थराइटिस, पीठ दर्द, ठंड और बुखार में ली जाने वाली दर्द निवारक दवाओं से इंसान की संवेदना कम होती है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार अस्थमा के करीब 5 फीसदी मरीजों के लिए पेन किलर लेना अस्थमा को बढ़ाता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
प्रमुख अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरेन्द्र सिंह के अनुसार अस्थमा मरीजों को पेन किलर लेने में सावधानी बरतनी चाहिए। एसएमएस के अस्थमा एवं एलर्जी क्लिनिक पर हर महीने करीब 50 से ज्यादा एेसे मरीज आते हैं, जो नियमित पेन किलर लेते हैं। एसएमएस के अतिरिक्त अधीक्षक, एलर्जी विशेषज्ञ डॉ.अजीत सिंह बताते हैं कि एेसे मरीजों पर इन दवाओं के साइड इफेक्ट भी दिखते हैं।
50 लाख रुपए का कारोबार
दवा बाजार के अनुसार रोजाना बिकने वाली दवाओं में पेन किलर का कारोबार करीब 5 फीसदी होता है। इनमें से भी करीब 50 फीसदी तो बिना डॉक्टर के परामर्श के ही बिकती है। प्रदेश में रोजाना 10 से 12 करोड़ का दवा कारोबार होता है। इस आधार पर करीब 50 लाख रुपए के पेन किलर रोजाना प्रदेश में बिकने का अनुमान है।
महसूस नहीं होता दूसरे का दर्द
शहर के एक मनोरोग विशेषज्ञ के पास उपचार करवा रही मानसरोवर के अग्रवाल फार्म निवासी 32 वर्षीय महिला का अनुभव अलग ही है। विशेषज्ञों के अनुसार आमतौर पर महिलाएं ज्यादा संवेदनशील होती है। दूसरों की फीलिंग्स को ज्यादा महसूस करती हैं। लेकि, इस महिला को किसी बेहद दुखद सूचना को सुनने के बाद भी कोई असर नहीं होता था। एेसा परिवर्तन उसमें करीब एक साल के दौरान ही आया। उसने चिकित्सक से संपर्क किया तो उसे पेन किलर लेने के लिए कहा। उसने बताया कि यह तो वह लगातार ले रही है। इस पर सकते में आए डॉक्टर ने उसे यह तत्काल बंद करने को कहा।
दुख बताया तो तकलीफ नहीं हुई
पेन किलर का असर ना सिर्फ शारीरिक रूप से होता है, बल्कि सामाजिक रूप से भी दिखता है। शोध के निष्कर्षों के अनुसार जिन्हें दर्द निवारक दिया गया, उन्हें जब दूसरों के दुर्भाग्य के बारे में जानकारी दी तो उन्हें उनके मुकाबले कम तकलीफ हुई, जिन्हें दर्द निवारक दवाइयां नहीं दी गई थी।