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वात-पित्त के असंतुलन से होती है त्वचा संंबंधी बीमारियां

Published: Jul 07, 2017 04:42:00 pm

आयुर्वेद के मुताबिक यह समस्या वात-पित्त के असंतुलन से होती है। इसकी वजह से शरीर में विषैले तत्त्व इकट्ठे हो जाते हैं जो रक्त व मांसपेशियों के अलावा इनके अंदर के ऊत्तकों को संक्रमित करने लगते हैं।

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Skin diseases

सोरायसिस त्वचा संबंधी एेसी बीमारी है जिसमें त्वचा की कोशिकाओं में तेजी से वृद्धि होने लगती है। आयुर्वेद के मुताबिक यह समस्या वात-पित्त के असंतुलन से होती है। इसकी वजह से शरीर में विषैले तत्त्व इकट्ठे हो जाते हैं जो रक्त व मांसपेशियों के अलावा इनके अंदर के ऊत्तकों को संक्रमित करने लगते हैं। जिससे व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित हो जाता है। यह समस्या ज्यादातर कोहनी, घुटने व सिर की त्वचा को प्रभावित करती है।

ये भी हैं कारण : आनुवांशिकता को भी इसका मुख्य कारण माना जाता है। यदि माता-पिता में से किसी एक को यह समस्या है तो बच्चे में इसका खतरा 15 प्रतिशत बढ़ जाता है। माता-पिता दोनों को एेसी परेशानी है तो बच्चे में इसकी आशंका 60 प्रतिशत तक होती है। इसके अलावा दो अलग किस्म का भोजन जैसे दूध के साथ खट्टी व नमकीन चीजें खाने, त्वचा कटने, चोट लगकर घाव होने या जलने, एलर्जी वाली दवाओं के नियमित इस्तेमाल, धूम्रपान व शराब की लत और अधिक तनाव से भी यह समस्या हो सकती है। 

लक्षण: त्वचा पर सफेद परत, खुजली, जलन, फोड़े-फुंसी, फफोले, त्वचा में दर्द और सूजन, रूखे धब्बे व धब्बों से खून आना आदि। 

आयुर्वेदिक उपचार: केले के ताजे पत्ते को प्रभावित स्थान पर आधे घंटे के लिए रखें।
आधा चम्मच तिल के दाने लेकर एक गिलास पानी में रातभर भिगों दें। सुबह खाली पेट छानकर पानी पिएं। सुबह खाली पेट करेले का 1-2 कप रस पिए। यदि इसे पचाने मंे कोई परेशानी हो तो इसमें एक बड़ी चम्मच बराबर नींबू रस भी मिला सकते हंै। कड़वापन भी कम होगा।

ध्यान रहे : दो अलग प्रकृति का भोजन एकसाथ करने से बचें। लंबी यात्रा, व्यायाम या कोई शारीरिक गतिविधि के बाद तुरंत ठंडे पानी से स्नान न करें। उल्टी, यूरिन आदि को ज्यादा देर न रोकें। खट्टी, तली-भुनी व अपच पैदा करने वाली चीजें न खाएं। 
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