scriptसांस की तकलीफ पर ध्यान दें महिलाएं | Women should not take breathing problem lightly | Patrika News

सांस की तकलीफ पर ध्यान दें महिलाएं

Published: Apr 01, 2015 03:15:00 pm

अध्ययनों के अनुसार प्रत्येक 1000 महिलाओं में से 17वीं महिला अस्थमा से पीड़ित होती हैं

बहुत सी महिलाओं में माहवारी और परिपक्वता से ठीक पहले अस्थमा के लक्षण नजर आने लगते हंै। माहवारी के दौरान महिलाओं में हार्मोन के स्तर में बहुत बदलाव आता है और माहवारी से ठीक चार या पांच दिन पहले अस्थमा के लक्षण ज्यादा ही सामने आते हैं क्योंकि इस दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन बहुत कम हो जाता है। मेनोपॉज के समय अस्थमा के लक्षण ज्यादा उभरकर सामने आते हैं जबकि इस समय महिला के हार्मोन ज्यादा स्थिर माने जाते हैं।

हार्माेन बदलाव पर सतर्क
विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं में अस्थमा के मामले ज्यादा होने का कारण प्रजनन हार्मोन है। बॉम्बे इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और भाटिया अस्पतालों के डीएनबी कंसलटेंट रिस्प्रेटरी फिजिशियन डॉॅ.सुजीत राजन कहते हैं कि जिन महिलाओ को अस्थमा की समस्या होती है उन्हें फीमेल हार्मोन की वजह से पुरूषों के मुकाबले ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता होती है। इसका मतलब ये है कि महिलाओं को न सिर्फ अस्थमा ट्रिगर जैसे कि खाना बनाते समय बॉयोमॉस ईधन, स्मोकिंग, शराब से बचने और पर्यावरणीय बदलावों पर ध्यान देने की जरूरत है बल्कि उन्हें महीने में हो रहे हार्माेन बदलावों पर भी सतर्क रहने की जरूरत है।

सांस में तकलीफ
अस्थमा सांस से जुड़ी क्रॉनिक बीमारी है जो फेफड़ों से जाने वाली सांस की नलियों में सूजन पैदा कर देती है। सांस में तकलीफ , छाती में अकड़न व रात को खांसी इसके आम लक्षण है।

इन्हेलर ज्यादा प्रभावी
देखा गया है कि एक तिहाई गर्भवती महिलाओं में अस्थमा के लक्षण ज्यादा देखने को मिले हैं जबकि एक तिहाई को कोई फर्क महसूस नहीं हुआ। बाकी महिलाओं को स्थिति में सुधार मिला है।

डॉॅ. सुजीत राजन कहते है कि अस्थमा से पीडित गर्भवती महिलाओं की सामान्य डिलवरी हो सकती है। अस्थमा की रोगी महिलाएं अपने बच्चे को स्तनपान भी करा सकती हैं। इन्हेलेशन थेरेपी गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित है। विकसित देश अमरीका व इग्लैंड में अस्थमा के इलाज के लिए इन्हेलेशन थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है।

हर 17वीं महिला पीड़ित
अध्ययनों के अनुसार प्रत्येक 1000 महिलाओं में से 17वीं महिला अस्थमा से पीड़ित होती हैं। परिपक्वता से ठीक पहले लडकियों के हार्मोन में बदलाव होने के कारण अस्थमा अटैक का खतरा रहता है। मेनोपॉज के समय महिलाएं अस्थमा से पुरूषों से दोगुना ग्रस्त पाई गई।
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