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9 साल की लक्ष्मी की 13 बार टूट चुकी है हड्डियां

Published: Jul 12, 2017 12:00:00 pm

9 साल की उम्र में 13 बार उसकी पांवों की हड्डियां टूट चुकी है।

Lakshmi

Lakshmi

बाड़मेर। नौ साल की मासूम बच्ची…लेकिन लगती है चार साल की। उसे तो ठीक से दुलार भी नहीं सकते। क्योंकि उसे और परिवार को हमेशा यही डर सताता रहता है कि पता नहीं कब उसके पैरों की हड्डियां चटक जाएं। उसकी हड्डियां ऐसे टूटती हैं जैसे चॉक। 9 साल की उम्र में 13 बार उसकी पांवों की हड्डियां टूट चुकी है। मेडिकल साइंस की भाषा में इस बीमारी को ऑस्टियो जेनेटिक इम्परफेक्टा यानी अस्थि भंगुरता कहा जाता है। इसमें थोड़ा भी जोर लगने पर हड्डियां टूट जाती हैं।

एक साल की हुई तो पता चला

मेहनत मजदूरी से घर चलाने वाले शहर के जटियों का वास निवासी कांतिलाल जोशी के घर नौ साल पहले बेटी हुई तो उसने नाम लक्ष्मी रखा। लेकिन एक साल की उम्र में ही उसे बीमारी ने घेर लिया। उसकी पांव की एक हड्डी चटक गई। उपचार करवाया तो राहत मिली, लेकिन वह तीन साल की हुई और बैठने लगी तो फिर कमर से लेकर दोनों पांव की हड्डियां टूटने लगी। मजदूर पिता अस्पतालों में गया लेकिन उपचार के नाम पर कुछ लाभ नहीं हुआ।

पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती

लक्ष्मी की हड्डियां इतनी कमजोर हैं कि वह पैरों पर खड़ा भी नहीं हो सकती। हल्का सा जोर लगा नहीं कि हड्डी चटख जाती है। लक्ष्मी के लिए चलना फिरना छोड़ पांवों को हिलाना भी मुश्किल हो रहा है। हालांकि हड्डियों के टूटने से उसको दर्द नहीं होता है और न ही किसी प्रकार की सूजन आती है।

नहीं मिल रहा उपचार

मजदूर पिता बाड़मेर, जोधपुर, जालौर, सांचोर, गुजरात, जयपुर तक इलाज के लिए जा चुका है। चिकित्सक बस दवाएं देकर भेज देते हैं, लेकिन बीमारी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताते।

स्कूल में दाखिला नहीं

बेटी को लेकर वह पास के सरकारी स्कूल में गया तो वहां दाखिल करने से मना कर दिया। अपनी बीमारी से अनजान लक्ष्मी चंचल है और चेहरे पर हमेशा मासूम मुस्कान नजर आती है। स्कूल में दाखिला नहीं होने पर पूछा तो कहती है, ओ मारसा आने ही नहीं देते…।

कैसे हो उपचार

राज्य सरकार की ओर से विकलांग और बीमारी ग्रस्त बच्चों के उपचार की नि:शुल्क व्यवस्था है, लेकिन जब स्कूल में ही दाखिला नहीं मिले तो फिर उसका उपचार कैसे होगा।

जांच के बाद पता चलेगा

मेडिकल साइंस में इस बीमारी को ऑस्टियो जेनेटिक इम्परफेक्टा यानी अस्थि भंगुरता कहा जाता है। यह एक जेनेटिक बीमारी है। इसमें एंजाइम मिसिंग के कारण हड्डियां चटकती है। जांच के बाद ही कह सकते है कि वास्तव में बीमारी क्या है? – डॉ. सुरेन्द्र चौधरी, अस्थि रोग विशेषज्ञ

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