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इस गांव में शादी के बाद नहीं होती दुल्हन की विदाई!

शादी के बाद दूल्हे को घर जमाई बनकर रहना पड़ता है यहां, ससुराल वाले दिलाते हैं रोजगार

Jun 13, 2015 / 11:40 am

Anil Kumar

Damado Ka Purwa

Damado Ka Purwa

कौशांबी। यह परंपरा सभी समाजों में है कि शादी के बाद लड़कियां ससुराल चली जाती हैं। लेकिन इस दुनिया में एक ऎसा गांव भी है जहां शादी के बाद लड़कियों की विदाई नहीं होती है। ऎसा उत्तरप्रदेश के कौशांबी में स्थित “दामादों का पुरवा” गांव में होता है। अपनी इस विशेष परंपरा के लिए पुरवा गांव पूरे इलाके में मशहूर है। इस गांव में शादी के बाद दूल्हे को घर जमाई बनकर रहना पड़ता है। ससुराल वालों की तरफ से दामाद को रोजगार अथवा रोजगार के साधन मुहैया कराए जाते हैं।


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60 परिवारों का है गांव
दामादों का पुरवा गांव में 60 परिवार रहते हैं और यहां मुस्लिम परिवारों की संख्या ज्यादा है। इस गांव में दामादों मोहल्ला अलग से हैं जहां ज्यादातर लोग बाहर से आकर रहे हैं। शादी के बाद वो लोग यहां डेयरी, जनरल स्टोर्स, छोटी-मोटी दुकानें चलाने जैसे कार्य करते हैं।


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35 सालों से चली आ रही है परंपरा
दामादों के गांव पुरवा की घर जमाई वाली यह परंपरा 35 सालों से चली आ रही है। इस गांव की लड़कियों की शादियां पड़ौसी जिले कानपुर, फतेहपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद अथवा बांदा आदि में हुई हैं। ये सभी लड़कियां शादी के बाद अपने पति के घर नहीं जाती हैं, बल्कि दामादों के पुरवां में ही पति के साथ जीवन बिताती हैं।


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ऎसे शुरू हुई परंपरा
दामादों के पुरवा गांव का मूल नाम हिंगुलपुर है। यहां 35 साल पहले कमरूद्दीन नाम के एक व्यक्ति ने अपनी बेटी की शादी बड़ी धूमधाम से कराई और बेटी-दामाद को उसी गांव में बसा लिया। कमरूद्दीन ने अपने दामाद को अपने व्यवसाय में शामिल कर लिया। इसके बाद संबंधों के साथ-साथ दोनों परिवारों ने व्यवसाय में खूब तरक्की की जिसके बाद यहां यही परंपरा चल पड़ी। इस परंपरा के बारे में गांव की बेटियों का कहना है कि घर की बेटी घर में रहे तो वह ठीक तरह से परिवार की देखभाल कर सकती है। बेटियां अपना सुख-दुख अपने माता-पिता से बांट सकती है और खुशीपूर्वक रहती हैं।

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