इस मंदिर में दिवाली के बाद जाने वाले भक्तों को प्रसाद के रूप में आभूषण और नकदी बांट दिए जाते हैं। इस प्रसाद को पाने के लिए दूर दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। हालांकि यहां से मिलने वाले इस प्रसाद को लोग शगुन और शुभ मानकर हमेशा अपने पास रखते हैं और कभी खर्च नहीं करते।
सैकड़ों साल पुराने मंदिर के चढ़ावे का पूरा हिसाब रखा जाता है, ताकि भक्तों को उनका पैसा वापस मिल सके। सुरक्षा के लिहाज से यहां सीसीटीवी कैमरे के साथ पुलिस का सख्त पहरा भी रहता है।