अस्सी की उम्र पार कर चुकी दादी का निशाना आज भी अचूक
Published: Mar 30, 2015 11:41:00 am
उम्र के आखिरी पड़ाव में लोगों को ठीक से दिखाई तक नहीं देता, जबकि अस्सी की उम्र पार कर चुकी चंद्रो देवी उर्फ दादी ने शूटिंग सीखना शुरू किया
गाजियाबाद। उम्र के आखिरी पड़ाव में लोगों को ठीक से दिखाई तक नहीं देता, जबकि अस्सी की उम्र पार कर चुकी चंद्रो देवी उर्फ दादी ने शूटिंग सीखना शुरू किया। दादी का निशाना अभी भी अचूक है और शूटिंग रेंज में पुरुष शूटरों को मात दे रही है। दादी का जज्बा और हौसला युवा वर्ग के लिए प्रेरणा बन गई है। बागपत के जौहड़ी गांव की रहने वाली चंद्रो देवी की पहचान अब दादी के नाम से ही होती है।
दादी देश की बेटियों को निडर व साहसी बनने का संदेश दे रही हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर लड़कियों को निशानेबाजी के लिए प्रेरित कर रही हैं। मेरठ रोड स्थित एकलव्य शूटिंग क्लब में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए पहुंची दादी ने बताया कि शुरुआत की डगर हमेशा मुश्किलों से भरी होती है लेकिन इच्छाशक्ति मजबूत हो तो मंजिल मिल जाती है।
दादी ने बताया कि जब वह 65 वर्ष की थीं तब अपनी पोती को निशानेबाजी सिखाने के लिए शूटिंग रेंज ले जाती थीं। उसी दौरान उसे भी शूटिंग करने का शौक हुआ और फिर पिस्टल थाम लिया। दादी दस मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर प्वाइंट 32 बोर में राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीत चुकी हैं। दादी ने बताया कि शुरुआती दौर में गांव और घर के लोगों से ताने सुनने को मिले लेकिन ताने की परवाह किए बगैर सीखना जारी रखा।