जैकब को डॉक्टरों ने कहा था कि वह कभी ठीक नहीं हो पाएंगे और ना हीं जिंदगी में मेहनत करेंगे, लेकिन जज्बे के दम पर उन्होंने पिछले साल मार्च में तीन सेमी के ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी के ठीक आठ माह बाद न्यूर्याक मैराथन पूरा किया है। जैकब को अभी भी सर का लगातार एमआरआई स्कैन करना पड़ता है।
नहीं ले पाते तेजी से सांस
डाक्टरों ने इस वजह से उन्हें सीढियां चढ़ने और ज्यादा दौड़नेे के लिए मना किया था क्योंकि वह ज्यादा तेजी से सांस नहीं ले सकते। जैकब ने उनकी इस सलाह को 20 सालों तक माना भी लेकिन अब वह इस तरह जीने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने अब मैराथन में हिस्सा लेना शुरू कर दिया है और फिटनेस पर भी ध्यान देने लगे हैं। साल 2013 में उन्होंने मेलबर्न के यूरेका टॉवर पर 1642 सीढियां चढ़ने की रेस पूरी की और इसमें भाग लेने वाले दो हजार प्रतियोगियों के बीच 99वीं रैंक हासिल की। उन्होंने अपनी जिंदगी की कहानी का एक वीडियो यूट्यूब पर भी अपलोग किया जिसे अब तक 1 लाख 17 हजार बार देखा जा चुका है।
वह नवंबर में हैमिल्टन में होने वाली एक ट्राइथलॉन में हिस्सा लेने की तैयारी में हैं। 750 मीटर की तैराकी, 20 किमी की बाइक राइड और 5 किमी दौड़ना है। जैकब का कहना है कि इससे पहले उनके सारे मैराथन चैरिटी के लिए थे। लेकिन इस बार वो पूरे जी जान से जीतने के लिए दौड़ेंगे।