नशेड़ी बना बंदर, पेड़ पर चढ़ कर मांगता है अफीम
Published: May 28, 2015 01:04:00 pm
बिलाड़ा उपखण्ड के बाला गांव में एक बंदर को “अमल” यानि अफीम की लत लग गई है। सुबह अफीम नहीं
भावी (जोधपुर)।बिलाड़ा उपखण्ड के बाला गांव में एक बंदर को “अमल” यानि अफीम की लत लग गई है। सुबह अफीम नहीं मिलने पर बन्दर खों-खों कर चिल्लाने लगता है। मजबूरी में लोग इसे अफीम देते हैं। खुराक मिलते ही यह शांत होकर बैठ जाता है।
यह बन्दर एक माह पहले गांव में आया था। यह ऎसी जगह बैठता, जहां चार-पांच लोग बैठे होते हैं। गांव के बुजुर्ग आपस में अमल की “मनुहार” करते तो कभी-कभार बन्दर को भी थोड़ी अफीम खिला देते। बाद में बन्दर को चस्का लग गया।
हालत यह हो गई कि मनुहार करने वाले बुजुर्ग के हाथ में रखी अफीम बन्दर झपट लेता है। बाला गांव के ओगड़राम सीरवी (80) ने बताया कि इस बंदर से शुरू-शुरू में तो डर के कारण लोग बन्दर को देख इधर-उधर हो जाते। मगर बंदर भी उनके पीछे आकर उन लोगों के पास ही बैठ जाता। बाद में लोग इसे थोड़ी अफीम देने लगे।
अफीम खाने के बाद बंदर को चाय दी जाती है।
यह खुराक मिलने के बाद बंदर किसी मकान की छत पर जाकर बैठ जाता है। लगातार अफीम का सेवन करने से अब ये बंदर नशेड़ी बन गया है। हर दिन सुबह किसी भी पेड़ पर चढ़ कर चिल्लाना शुरू कर देता है। लोग समझ जाते हैं। जैसे ही उसको अफीम खिलाई जाती है, बंदर शांत हो जाता है। किसी दिन अफीम नहीं मिलने पर बंदर चिड़चिड़ा होकर लोगों के पीछे दौड़ने लगता है। अब गांव के लोगों को यह भय सता रहा है कि किसी दिन यह किसी को काट न ले।
खतरनाक स्थिति है यह
बंदर का नशेड़ी बन जाना खतरनाक बात है। उसे समय पर अफीम नहीं मिली तो वह हर किसी के साथ छीना-झपटी कर सकता है। समय रहते बंदर काबू कर इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए। – डॉ.पंकज मोहन त्रिपाठी, पशु चिकित्सक, बिलाड़ा