जरूरी था दिमाग को एक्टिव रखना
सरिता की समस्या ऎसी जटिल थी, सर्जरी के वक्त उसके दिमाग का सक्रिय रहना बेहद जरूरी था। इसीलिए उसे बेहोश नहीं किया गया बल्कि सर्जरी शुरू करते ही डॉक्टरों ने उससे हफ्ते की सभी दिन, साल के सभी महीने या ऎसे ही अन्य सामान्य सवाल करने शुरू कर दिए। इसी बीच सरिता ने रबिन्द्र संगीत का गायन शुरू कर दिया। इसमें वह पूरी तरह मग्न हो गई। सरिता की सर्जरी सफलता पूर्वक पूरी हो चुकी है और वह जल्द ही घर जा सकेगी।
बिना बेहोश किए हुई सर्जरी
मरीज सरिता का कहना है कि उन्होंने कई डॉक्टरों से इलाज कराया, कोई लाभ नहीं मिला। बेंगलूरू में पहली बार बिना बेहोश किए होने वाली सर्जरी के बारे में सुना। डॉक्टरों ने भरोसा दिलाया और मैंने भी हिम्मत जुटाई। खुश हूं कि सर्जरी सफल रही।
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खो सकती थी बोलने के शक्ति
न्यूरोसर्जन डॉ.भटेजा का कहना है सरिता का दिमाग यदि सर्जरी के वक्त सक्रिय अवस्था में न रहता तो वह बोलने की शक्ति खो सकती थी। पहले भी ऎसे ऑपरेशन हो चुके हैं, इसलिए हमें पता था ये सफल होगा।