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जिसकी बनाई पटरी पर 56 साल से दौड़ रहीं ट्रेनें उस बीएसपी के नाम आज तक नहीं ट्रेन

भिलाई स्टील प्लांट जिसकी बनाई पटरी पर पूरे देश में एक  कोने से दूसरे
कोने तक ट्रेनें दौड़ती हैं, जो आधी सदी से एकमात्र रेलपांत आपूर्तिकर्ता
है, उनके नाम पर एक ट्रेन भी नहीं है।

दुर्गDec 19, 2016 / 02:24 pm

Satya Narayan Shukla

56 years of racing on the track, which was created

56 years of racing on the track, which was created in the name of the BSP that trains not train today

भिलाई.यह विडंबना नहीं तो और क्या है, भिलाई स्टील प्लांट जिसकी बनाई पटरी पर पूरे देश में एक कोने से दूसरे कोने तक ट्रेनें दौड़ती हैं, जो आधी सदी से एकमात्र रेलपांत आपूर्तिकर्ता है, उनके नाम पर एक ट्रेन भी नहीं है। जबकि वायर रॉड व रिबार जैसे प्रोडक्ट बनाने वाले राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (ब्रॉन्ड नेम वाईजैग) के नाम से वाईजैग स्टील समता एक्सप्रेस शुरू हो गई है। हाल ही में रेल मंत्री सुरेश प्रभु तथा केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह ने दैनिक हजरत निजामुद्दीन-विशाखापत्तनम समता एक्सप्रेस (अब वाईजैग स्टील समता एक्सप्रेस) को झंडी दिखाकर नई दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से रवाना किया। वाईजैग स्टील समता एक्सप्रेस रेलगाड़ी को पूरी तरह वाईजैग स्टील के उत्पादकों के आकर्षक चित्रों से सजाया गया है।

64 हजार 15 किमी. से ज्यादा लंबा नेटवर्क
बीएसपी में बनी पटरी से ही भारतीय रेलवे का 64 हजार15 किमी से भी ज्यादा लंबा नेटवर्क संभव हो पाया है। 15 हजार रेलगाडिय़ां इस नेटवर्क पर दौड़ती हैं। करीब 2 करोड़ लोग रोज रेलगाडिय़ों के माध्यम से इधर से उधर आते-जाते हैं। अपनी पटरियों के माध्यम से देश के एक कोने से दूसरे कोने को राष्ट्रीय अखंडता के एकसूत्र में पिरोता है। आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में मदद मिलती है। शिक्षा, व्यापार, उद्योग और कृषि क्षेत्र में निरंतर विकास हो रहा है। पर्यटन और तीर्थ यात्रा संभव हो पाता है। देश में सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भिलाई स्टील प्लांट के नाम से एक भी ट्रेन नहीं चलती।

गुणवत्ता में किया सुधार

भिलाई रेलवे की मांग के अनुरुप अपनी रेल पटरी की गुणवत्ता में हमेशा सुधार करते रहा है। चाहे वह रेल नेटवर्क के विस्तार के साथ ही वैगनों के भार ढोने की क्षमता में बढ़ोतरी करनी हो या कोच के और तेज गति से दौडऩे के लिए एक्सल लोड को बढ़ाने की जरूरत हो, रेलवे ने जब चाहा, जैसा चाहा भिलाई ने वैसी ही पटरी बनाकर दी। तटीय क्षेत्रों के लिए क्षरण प्रतिरोधी निकल कॉपर क्रोमियम (एनसीसी) पटरियां बनाई तो भारी माल वहन के लिए वेनेडियम माइक्रो-एलॉय और यूटीएस 110 जैसी पटरियां बनाकर भी रेलवे को दी।

56 साल से रेलवे को कर रही पटरी की सप्लाई
1960 में भिलाई इस्पात संयंत्र में रेल एवं स्ट्रक्चरल मिल का उद्घाटन देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था। तब से भिलाई स्टील प्लांट 26.34 मिलियन टन रेल पटरी बन चुकी है। इनमें से 20 मिलियन टन भारतीय रेलवे को ही आपूर्ति की गई है। तब से लेकर अब (नवंबर 2016) तक 56 सालों में बीएसपी 4 लाख 70 हजार 407 किलोमीटर लंबी रेल पटरी का निर्माण कर चुका है, इससे पूरी दुनिया को सवा ग्याहर बार से अधिक (11.75 बार) लपेटा जा सकता है। विश्व के सबसे बड़े रेल संस्थान भारतीय रेलवे को एकमात्र रेल पटरी आपूर्तिकर्ता भिलाई आज विश्व की सबसे लंबी रेलपांत का भी प्रथम और एकमात्र उत्पादक बन गया है। नई यूनिवर्सल रेल मिल में 130 मीटर लंबी पटरी बनाने वैश्विक रोलिंग पद्धति अपना रही है, जिससे इस तरह की चार पटरियों को जोड़कर 520 मीटर लंबी पटरी का निर्माण करने में मदद मिलेगी।

विजन 2020 में भी होगा बीएसपी का अहम रोल
अब भी रेलवे के विजन 2020 को मूर्तरूप देने में भिलाई का अहम योगदान होगा। इस विजन के तहत रेल लाइनों का विस्तार किया जाएगा और ज्यादा व्यस्त मार्गों पर यात्री ट्रेनों और मालगाडिय़ों की लाइनों को अलग-अलग किया जाएगा। इसके तहत वर्ष 2020 तक 25 हजार किलोमीटर नई लाइनों का निर्माण प्रस्तावित है। यह भी एक महत्तवपूर्ण बात है कि उन विदेशी बाजारों से लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं, जिनमें पहुंच बनाना आसान नहीं है। बीएसपी में गुणवत्तापूर्ण पटरियों का निर्माण होता है।
जिनका इस्तेमाल यूरोपीय देशों में किया जाता है। इंडियन रेलवे के अलावा दुनिया के 11 देशों में भिलाई इस्पात संयंत्र की रेलपांत की डिमांड है। इनमें ईरान, सूडान, दक्षिण कोरिया, इजीप्ट, अर्जेंटाइना, तुर्की, बांग्लादेश, घाना, न्यूजीलैंड, मलेशिया और श्रीलंका में रेल परियोजनाओं में भिलाई की पटरी इस्तेमाल की जा रही है।

विश्व की बेस्ट रेलपांत बनाने की दिशा में अग्रसर
सदस्य रेलवे उपभोक्ता सलाहकार समिति के. उमाशंकर राव कहते हैं कि वर्ष 2002 में जब मैं पहली बार सदस्य बना तब से लेकर अब तक लगातार यह मांग करते आ रहा हंू कि भिलाई इस्पात संयंत्र की पहचान के लिए स्टील सिटी या भिलाई एक्सपे्रस के नाम पर एक ट्रेन चलाई जाए। डिविजन रेलवे उपभोक्ता सलाहकार समिति की बैठक के माध्यम से प्रस्ताव बनाकर भेजते भी हैं, लेकि वहां कोई सुनवाई नहीं होती। जनप्रतिनिधियों में भी इसको लेकर कोई उत्साह नहीं है। विश्व की बेस्ट रेलपांत बनानेे की ओर अग्रसर है भिलाई। यूनिवर्सल रेल की स्थापना के बाद भिलाई सटील प्लांट आईआरएस 45 और 52 किलोग्राम प्रति मीटर, यूआईसी 60, 136 आरई 12 (68 किलोग्राम रेल), 75 किलोग्राम रेल और अन्य अंतर्राष्ट्रीय रेल उत्पाद जैसे यू 54, ई-1 आदि तथा जेडयू 1-60 ग्रूव्ड और टंग रेल का उत्पादन करने में सक्षम हो जाएगा।

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