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ट्रेन में चढ़ते ही आखिर क्यों देशभर के डॉक्टर छिपा लेते हैं अपनी पहचान

रेलवे अधिकारियों की मानें तो चार साल में दुर्ग जिले के किसी भी डॉक्टर ने रेलवे को अपनी आपातकालीन सेवा देने की इच्छा नहीं जाहिर की है।

दुर्गJul 25, 2017 / 12:40 pm

Satya Narayan Shukla

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पंकज तिवारी@भिलाई. ट्रेन में रोज यात्रा करने वाले लाखों लोगों में डॉक्टर भी होते हैं। डॉक्टरों का किसी न किसी काम से ट्रेन में आना-जाना लगा रहता है। साल में एक बार बच्चों के समर वेकेशन में देश में कहीं न कहीं घूमने का टूर प्लान तो बनता ही है। इसके लिए डॉक्टर रिजर्वेशन भी कराते हैं, लेकिन रेलवे अपने रिजर्वेशन फॉर्म में सबसे ऊपर पहले कॉलम में ही पूछता है ‘यदि आप डॉक्टर हैं तो हां लिखें, ताकि आपातकाल के दौरान आपकी सेवाएं ली जा सके, अधिकांश डॉक्टर यह कॉलम छोड़ देते हैं। ट्विनसिटी के सरकारी हो या प्राइवेट डॉक्टर, वे ट्रेनों में रियायती टिकट पर सफर करना पसंद नहीं करते हैं।

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कहीं इलाज न करना पड़ जाए
ऐसा इसलिए कि यात्रा के दौरान कोई बीमार हो जाए, तो उसका इलाज करना पड़ सकता है। इस झंझट से बचने डॉक्टर अपनी पहचान छुपाकर आम यात्रियों की तरह पूरा किराया देकर टिकट खरीदते हैं। जबकि रेलवे उन्हें स्लीपर से लेकर एसी की सभी श्रेणियों के किराए में 10 प्रतिशत छूट देता है।

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नहीं दी जानकारी
दुर्ग रेलवे स्टेशन के रिजर्वेशन ऑफिस में कार्यरत अधिकारियों की मानें तो चार साल में दुर्ग जिले के किसी भी डॉक्टर ने रेलवे को अपनी आपातकालीन सेवा देने की इच्छा नहीं जाहिर की है। सीआरएस दुर्ग रिजर्वेशन कार्यालय एस जोशी ने बताया कि किसी भी डॉक्टर के लिए रेल किराए में छूट लेने की प्रक्रिया बेहद आसान है।

डॉक्टर को रिजर्वेशन करवाने के दौरान फॉर्म के साथ उनके एमबीबीएस डिग्री की फोटोकॉपी, अंडरटेकिंग पत्र देना होता है। सीनियर डीसीएम रायपुर आर सुदर्शन ने बताया कि ट्रेन में फस्टेड बाक्स की व्यवस्था होती है। यात्रा के दौरान यदि पैसेंजर ज्यादा गंभीर बीमार हो जाए तो स्टेशनों में भी मेडिकल सुविधा होती है।

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छूट दी याद नहीं
दुर्ग रेलवे रिजर्वेशन काउंटर पर अलग-अलग पालियों में कार्यरत कर्मचारियों ने जो बताया वह चौकाने वाला है। ईएसआरसी डी. डेनियल ने बताया ड्यूटी के दौरान दिनभर में 30 से 40 रेलवे रियायत केे फॉर्म उनके पास आते हैं, लेकिन चार साल में किसी डॉक्टर को किराए में छूट दी हो ऐसा कुछ याद नहींं आ रहा। हां रायपुर में जरूर इस तरह का फार्म लिया था।

 ईसीआरएस अमित कुमार सिंह ने बताया तीन साल में केवल एक बार सालभर पहले एक बीएसएफ के डॉक्टर का रियायत वाला फॉर्म लिया था। पीआरएस किरण कुमार को भी तीन साल हो गए, कहते हैं मैंने इस तरह की एक भी टिकट नहीं बनाई। बाकी अन्य रियायत वाले तो रोज कितनी ही टिकट बनाता हूं।
 
डॉक्टरों का अपना तर्क
रेलवे से किराए में छूट लेना या अपनी पहचान बताने में डॉक्टरों को कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन यात्रा के दौरान डॉक्टर अपने सभी चिकित्सा उपकरण साथ लेकर चल नहीं सकता है। ऐसे में किसी का उपचार करें भी तो कैसे? यात्रा के दौरान ट्रेनों में जीवनरक्षक दवाएं नहीं होती हैं।
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