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देश की सुरक्षा से भी खिलवाड़: एविएशन सेंटर में घटिया केबल का इस्तेमाल

locationदुर्गPublished: Dec 10, 2016 12:32:00 am

नंदिनी स्थिति नेशनल टेक्निकल रिसर्च आर्गेनाइजेशन
के एविएशन सेंटर तक हाईटेंशन लाइन बिछाने घटिया सामग्रियों का भी इस्तेमाल
किया।

Messing with the security of the country: cheap ca

Messing with the security of the country: cheap cable used in aviation center

भिलाई. बिजली कंपनी के अधिकारियों ने कमीशन के लिए रक्षा मंत्रालय को भी नहीं छोड़ा। कुरुद सब स्टेशन से नंदिनी स्थिति नेशनल टेक्निकल रिसर्च आर्गेनाइजेशन (एनटीआरओ) के एविएशन सेंटर तक 33 केवी की हाईटेंशन लाइन बिछाने न केवल जानबूझकर ज्यादा का इस्टीमेट बनाया बल्कि घटिया सामग्रियों का भी इस्तेमाल किया।

नंदिनी एयरोड्रम एविएशन सेंटर
इसके कारण एविएशन सेंटर में आए दिन बिजली सप्लाई प्रभावित होती रही। इसका असर राष्ट्र की सुरक्षा जैसे अहम कार्यों पर पड़ा। एनटीआरओ ने छत्तीसगढ़ के साथ ही आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के नक्सलवाद प्रभावित इलाकों पर नजर रखने के लिए यहां नंदिनी स्थित भिलाई स्टील प्लांट के एयरोड्रम को अपना एविएशन सेंटर बनाया है।

33 केवी हाईटेंशन लाइन का इस्टीमेट

एनटीआरओ की मांग पर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी ने 33 केवी हाईटेंशन लाइन का इस्टीमेट बनाया। इसके लिए निर्माण खर्च एवं सुरक्षा निधि को मिलाकर कुल लगभग 1 करोड़ 90 लाख रुपए का भुगतान एनटीआरओ ने बिजली कंपनी को किया। 96 लाख रुपए का यह ठेका 15 प्रतिशत बिलो रेट यानी 81 लाख में पीआर शर्मा को दिया गया था।

ओपन कंडक्टर के बदले केबल
चंूकि डिफेंस से संबंधित काम था, सीधे कमीशन मिलने की गुंजाइश नहीं थी, ओएंडएम विभाग ने जानबूझकर ज्यादा राशि का इस्टीमेट बनाया। खुला एरिया जहां इलेक्ट्रिकल्स रूल्स के मुताबिक 33 केवी हाईटेंशन लाइन के लिए ओपन कंडक्टर (खुले एल्युमिनियम तार) लगाया जा सकता था, वहां के लिए भी केबल का ही प्रावधन रखा। जिला अधिकारी ने भी ठेकेदार से भारी कमीशन की उम्मीद में बगैर परीक्षण व समीक्षा किए बड़ी राशि का इस्टीमेट पास कर दिया।

50 की जगह 95 मिमी का प्रस्ताव

ओपन कंडक्टर की जगह केबल का प्रस्ताव बनाकर पहली गलती तो की है, अफसरों का मन इतने से नहीं भरा। 33 केवी लाइन की लोड केपेसिटी के हिसाब से 50 मिमी केबल पर्याप्त हो सकती थी, लेकिन अधिकारियों ने 95 स्क्वेयर मिमी की केबल स्वीकृत कर ज्यादा राशि का इस्टीमेट बनकार रक्षा मंत्रालय पर जानबूझकर ज्यादा भार डाला।
इस्टीमेट 95, केबल डाला 185 मिमी का
अफसरोंं का कारनामा यहीं नहीं थमा। अपने ही इस्टीमेट में स्वीकृत सामग्री बगैर किसी सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के बदल दी गई। जब आखिरी में केबल डाली गई तो 185 स्क्वेयर मिमी की। कुरुद से एविएशन सेंटर का प्रस्तावित रूट भी बदल दिया गया।

पहले ही बिछी लाइन में डाल दी केबल

अलग से केबल डालने के बजाए पहले से ही ओपन कंडक्टर की लाइन में डाल (कंपोजिट लाइन) दिया गया। हर 400 मीटर की दूरी पर अर्थिंग भी नहीं दी गई। इसके कारण करंट लीकेज होता रहा और लाइन जल्द ही खराब हो गई।

यह भी कम लापरवाही नहीं
रक्षा मंत्रालय से संबंधित विभाग का काम होने के बावजूद प्रकरण स्वीकृत करने में करीब तीन महीने का समय लगाया। इसमें इस्तेमाल की गई लोहे की सामग्री भी हल्की और घटिया है।

48 बार ब्रस्ट, 39 दिन सप्लाई बंद रही
चूंकि बिजली कंपनियों के अधिकारियों ने वर्षों से डंप और घटिया केबल इस्तेमाल किया, लगाने के बाद ही ब्रस्ट होने लगी थी। इसके कारण केबल में जगह-जगह ज्वाइंट हो गए। 14 नवंबर 2014 से 13 सितंबर 2016 तक लाइन में 48 बार खराबी आई। इस बीच लगातार 39 दिन लाइन बंद भी रही। इससे एनटीआरओ का काम प्रभावित हुआ।

फिर भी बिल पास हो गया

मूल इस्टीमेट में ओर वास्तविक कार्य में भिन्नता होने के बावजूद भी पूरा बिल पास हो गया। इससे साफ है कि मिलीभगत कर गुणवत्ताहीन कार्य को अंजाम दिया गया है। यही नहीं लाइन चालू होने के बाद आए दिन और बार-बार खराबी आती रही। उसे सुधारने के लिए फिर से इस्टीमेट बनाकर ठेका दिया गया।

एक जांच अधिकारी ने माना गड़बड़ी
कार्यपालन अभियंता ओपी भारद्वाज ने अपनी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि 33 केवी एचटी कनेक्शन के लिए 95 स्क्वेयर मिमी का केबल कनेक्शन पर्याप्त था, लेकिन यहां 185 स्क्वेयर मिमी का केबल बगैर स्व्ीकृति के लगाया गया। जब अधिक लोड क्षमता का केबल डाला गया है तो बार-बार ब्रस्ट होना समझ से परे है।

अपनोंं को बचाने दी गलत रिपोर्ट

जबकि दूसरे अधिकारी विकास गुप्ता ने उच्चाधिकारियों को सौंपी अपनी रिपोर्ट में 95 स्क्वेयर मिमी का केबल लगना बताया है। जबकि फील्ड में 185 स्क्वेयर मिमी का केबल लगा है।

राजस्थान में डंप घटिया केबल खपाई गई
इस्टीमेट स्वीकृत होने के बाद अधिकारियों की टीम केबल का इंस्पेक्शन करने राजस्थान भी गई थी। वहां बजाए 95 मिमी केबल का इंस्पेक्शन करने के,185 मिमी केबल की ओके रिपोर्ट दे आई। बताया गया कि केबल वहां वर्षों से डंप थी, जिसे यहां खपाया गया। यह सब जानबूझकर हेराफेरी की नीयत से ही किया गया।

आईजी से जांच करने की मांग
आम आदमी पार्टी के मेहरबान सिंह ने पुलिस महानिरीक्षक दीपांशु काबरा से इस गड़बड़ी की शिकायत कर जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि विभाग के उच्चाधिकारी गड़बड़ी करने वालों को संरक्षण दे रहे हैं। कई बार शिकायत करने के बाद भी मामले को दबा दिया गया।

मैंने इस्टीमेट बनाया था

ओएंडएम विभाग के तत्कालीन ईई एके लखीरा ने कहा कि हां इस्टीमेट मैंने ही बनाया था। जहां तक मुझे याद है मैंने इस्टीमेट तो 95 मिमी केबल का ही बनाया था। 185 मिमी की केबल डली है मुझे नहीं पता।

इस्टीमेट के मुताबिक काम

एसटीआरई के ईई एके गौराहा ने कहा कि इस्टीमेट बनाने का काम ओएंडएम विभाग का है। इस्टीमेट के मुताबिक ही हम लोगों ने काम किया। लाइन बिछाने में बहुत परेशानी आ रही थी। परिस्थितियों और फ्यूचर लोड ग्रोथ को देखते हुए जो भी बेस्ट पॉसिबल हो सकता था किया गया।

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