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बाल संप्रेक्षण गृह में फिनाइल पीकर अपचारी बालक ने की जान देने की कोशिश

locationदुर्गPublished: Nov 30, 2016 10:12:00 am

बाल संप्रेक्षण गृह में 17 वर्ष के अपचारी बालक ने आत्महत्या करने
का प्रयास किया। सोमवार की देर शाम उसने फिनाइल पी ली थी। उसे  जिला
अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

Child transmittal Home delinquent boy's life in an

Child transmittal Home delinquent boy’s life in an attempt to drink phenyl

दुर्ग.बाल संप्रेक्षण गृह में 17 वर्ष के अपचारी बालक ने आत्महत्या करने का प्रयास किया। सोमवार की देर शाम उसने फिनाइल पी ली थी। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अपचारी बालक को केजुअल्टी में चिकित्सकों की विशेष निगरानी में रखा गया है। चिकित्सकों ने अपचारी बालक को खतरे से बाहर बताया है। जानकारी के मुताबिक फिनाइल पीने के बाद वह लगातार उल्टी कर रहा था। इसकी जानकारी मिलते ही बाल संप्रेक्षण गृह के अधिकारियों को सूचना देते हुए अपचारी बालक को जिला अस्पताल ले जाया गया।

दुष्कर्म का अपराध दर्ज

महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिकारी गुरप्रीत कौर व आरके जामुलकर ने जिला अस्पताल पहुंचकर अपचारी बालक के स्वास्थ्य के बारे में चिकित्सकों से जानकारी ली। अपचारी बालक को मोहन नगर पुलिस ने बाल संप्रेक्षण गृह पहुंचाया है। उसके खिलाफ दुष्कर्म का अपराध दर्ज है। पुलिस ने पंद्रह दिन पहले उसे गिरफ्तार किया और न्यायालय में पेश कर बाल संप्रेक्षण गृह पहुंचाया। अधिकारी ने मामले में संप्रेक्षण गृह के अधिकारियों से जानकारी लेने की बात कही है।

नगर सैनिक के कमरे में था फिनाइल
बाल संप्रेक्षण गृह की सुरक्षा के लिए तैनात नगर सैनिकों के लिए आरक्षित कमरे में फिनाइल की बोतल रखी थी।कर्मचारियों के मुताबिक नगर सैनिक ड्यूटी करने मुख्य गेट पर बनाए मोर्चा प्वाइट पहुंचे अपचारी बालक ने चुपके से कमरे में प्रवेश कर फिनाइल गटक लिया। दो माह पहले भी एक अपचारी बालक ने बाल संप्रेक्षण गृह के बाथरुम में गमछे से फांसी लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया था। अन्य अपचारी बालकों के परेशान करने पर उसने यह कदम उठाया था। आत्महत्या करने की कोशिश करने का दो माह के भीतर यह दूसरा मामला है।

क्षमता 50 की रहते हैं 70 बालक
बाल संप्रेक्षण गृह 50 शीटर है। वर्तमान में यहां पर 70 बच्चे है। अधिक बच्चे होने के बाद भी महिला एवं बाल विकास विभाग सीट बढ़ाने किसी तरह की व्यवस्था नहीं की है। आम तौर पर तंग जगह में अपचारी बालकों को रहना पड़ता है। अपचारी बालक का कहना है कि हमेशा के लिए बाल संप्रेक्षण गृह में रहने की बात को सोचकर उन्होंने जान देने का प्रयास किया। क्योंकि पुलिस ने यह कहते हुए संप्रेक्षण गृह पहुंचाया है कि मामले में समझौता हो जाएगा। जमानत मिलते ही वह बाहर आ जाएगा। शिकायत करने वाले अब समझौता करने से इंकार कर रहे हैं। पुलिस भी चालान पेश नहीं कर रही है।
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