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DECISION: मेडिक्लेम निरस्त करने वाली बीमा कंपनी देगी 1.50 लाख हर्जाना

locationदुर्गPublished: Jan 03, 2017 11:05:00 am

मेडिक्लेम का लाभ नहीं देने पर नेशनल इंश्यूरंेस कंपनी भिलाई आकाशगंगा शाखा
के प्रबंधक को जिला उपभोक्ता ने निर्देश दिया गया है कि वह परिवादी को कुल
1,57,447 रुपए का भुगतान करें।

 consumer forum decision

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दुर्ग.मेडिक्लेम का लाभ नहीं देने पर नेशनल इंश्यूरंेस कंपनी भिलाई आकाशगंगा शाखा के प्रबंधक को जिला उपभोक्ता ने निर्देश दिया गया है कि वह परिवादी को कुल 1,57,447 रुपए का भुगतान करें। इस राशि में 97,447 रुपए इलाज में खर्च, 50 हजार रुपए मानसिक कष्ट के लिए और 10 हजार रुपए वाद व्यय शामिल है। इस मामले में प्रबंधक ई मेडिटेक सर्विस लि. नेहरुनगर को फोरम ने दोषमुक्त किया है। इनके खिलाफ हुडको भिलाई निवासी कोएन मेहतानी (82) ने परिवाद प्रस्तुत किया था।

वार्षिक प्रीमियम जमा किया

जिस पर फैसला जिला उपभोक्ता फोरम की अध्यक्ष मैत्रेयी माथुर व सदस्य राजेन्द्र पाध्ये ने सुनाया। परिवादी बीएसपी का सेवानिवृत्त कर्मचारी है। उसने नेशनल इंश्यूरेंस कंपनी से मेडिकल बीमा कराया था। वार्षिक प्रीमियम जमा किया था। बीमा में शर्त थी कि पहले इलाज के लिए स्वयं को भुगतान करना होगा। बाद में क्लेम दिया जाएगा। अचानक तबियत बिगडऩे पर परिवादी को सेक्टर-9 अस्पताल ले जाया गया। वहां से 3 मार्च 2014 को मुबंई ले जाया गया।

आवेदन निरस्त कर दिया

कोकिला बेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में इलाज के बाद 9 अप्रैल 2014 को मरीज को डिस्चार्ज किया गया। क्लेम करने पर बीमा कंपनी ने 6 जून 2014 को क्लेम आवेदन निरस्त कर दिया। फैसले में फोरम ने कहा कि बीमा कंपनी ने प्रकरण का अध्ययन किए बिना ही आवेदन निरस्त कर दिया। अगर कोई व्यक्ति बीमा करता है तो वह भविष्य में चिकित्सा में होने वाले खर्च से चिंता मुक्त हो जाता है। वर्तमान में बीमा ने कंपनी व्यापार तो बढ़ा ली है, लेकिन भुगतान के समय आवेदन व सर्च रिपोर्ट का बिना अध्यन किए उसे खारिज कर देती है। जैसा कि इस प्रकरण में कंपनी ने किया है।

सीधा व्यवहार नहीं होता

ई-मेडिकेल सर्विस एक स्वतंत्र संस्था है। बीमा कंपनी के रिकमेंड पर बीमा दावा पर कार्रवाई करती है। संस्थान का बीमा दावा से सीधा व्यवहार नहीं होता। इसलिए उसे परिवाद से मुक्त रखे। फोरम ने इसके तर्क को मंजूर करते हुए क्लेम से पृथक किया। नेशनल इंश्यूरेंस कंपनी ने बचाव में तर्क दिया कि परिवादी मेडिकल भत्ते के साथ परिवहन व्यय मांग रहा था। रिपोर्ट का अध्ययन करने से खुलासा हुआ कि जो राशि मांगी गई थी वह डायग्नोसिस के लिए थी। इसलिए आवेदन को निरस्त किया गया।
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