scriptदस साल तक के 2040 बच्चों को डायबिटीज | Durg : Diabetes to Ten year children | Patrika News
दुर्ग

दस साल तक के 2040 बच्चों को डायबिटीज

मधुमेह (डायबिटीज) की बीमारी अब कम उम्र के बच्चों को भी अपना शिकार
बना रही है। प्रदेश में दस साल तक की उम्र के 2040 बच्चे डायबिटीज से
पीडि़त मिले हैं।

दुर्गMay 30, 2015 / 01:14 pm

चंदू निर्मलकर

durg Diabetes to Ten year children

durg Diabetes to Ten year children

भिलाई. मधुमेह (डायबिटीज) की बीमारी अब कम उम्र के बच्चों को भी अपना शिकार बना रही है। प्रदेश में दस साल तक की उम्र के 2040 बच्चे डायबिटीज से पीडि़त मिले हैं। बाल मधुमेह नियंत्रण योजना के तहत सर्वे में यह तथ्य सामने आया है। इसके चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने राज्य में अलर्ट जारी किया है। सर्र्वे के दौरान तीन से दस वर्ष तक के बच्चों के इस बीमारी की चपेट में आने की सबसे बड़ी वजह जंक फूड और अनियमित दिनचर्या के तौर पर सामने आई है। योजना के तहत इन चिन्हित बच्चों को मुफ्त इंसुलिन दिया जाएगा।

दुनिया में सबसे ज्यादा मधुमेह रोगी भारत में

विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2025 में भारत में दुनिया के सबसे अधिक पांच करोड़ सत्तर लाख मधुमेह रोगी होंगे। विकसित देशों में यह रोग बढऩे से रोका जा रहा है किन्तु विकासशील देशों में खासकर भारत में यह एक महामारी का रूप ले रहा है। भारत में मधुमेह के 95 फीसदी से ज्यादा रोगी वयस्क हैं। प्रतिवर्ष विश्व में लाखों मधुमेह रोगियों की अकाल मृत्यु हो जाती है। वहीं राज्य में भी पीडि़तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। एक सर्वे के मुताबिक मधुमेह रोगियों में बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इसलिए बच्चों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने राज्य में अलर्ट जारी किया है।

इस कारण होता है मधुमेह रोग

इस बीमारी में रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक बढ़ जाता है। रक्त की कोशिकाएं इस शर्करा का उपयोग नहीं कर पाती। यदि यह ग्लूकोज का बढ़ा हुआ लेवल खून में लगातार बना रहे तो शरीर के अंग प्रत्यंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। बच्चों में होने का प्रमुख कारण आनुवांशिकता यानि माता-पिता से बच्चों में है। वहीं खान-पान एवं लाइफ स्टाइल जैसे मधुर एवं भारी भोजन का अधिक सेवन करना। चाय, दूध आदि में चीनी का ज्यादा सेवन आदि डायबिटीज के प्रमुख कारण हैं ।

आठ सौ से हजार रुपए का इंसुलिन पर खर्च

मधुमेह पीडि़त बच्चों में शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन दिया जाता हैै। इसका हर महीने औसतन खर्च आठ सौ से हजार रुपए आता है। योजना के चिन्हित बच्चों के लिए सरकारी अस्पतालों में इंसुलिन मुफ्त में दिया जाएगा।

बच्चों में मधुमेह के यह प्रमुख लक्षण


1. जन्म के समय बच्चे का वजन सामान्य से काफी अधिक रहना। 2. तेजी से वजन बढऩा। 3. अधिक भूख, प्यास व पेशाब लगना। 4. थकान, पिडंलियो में दर्द। 5. बार-बार संक्रमण होना। 6. देरी से घाव भरना। 7. हाथ पैरों में झुनझुनाहट, सूनापन या जलन रहना। 8. थोड़े से श्रम में शरीरिक थकावट।

एक्सपर्टकमेंट

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कमलेश श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चों में मधुमेह का एकमात्र उपचार है इंसुलिन का नियमित टीका। वयस्कों के लिए गोलियों व टीके का उपयोग किया जा सकता है पर बच्चों को नियमित इंसुलिन लगाना पड़ता है। साथ ही साथ पालकों को अपने बच्चों की काफी केयर भी करनी पड़ती है।यदि समय पर केयर नहीं किया तो बच्चे किसी बड़े संक्रामक रोग के शिकार हो सकते हैं।नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, दिनचर्या को मेनटेन करके बच्चों को इस घातक बीमारी से बचाया जा सकता है। गर्भकाल के दौरान भावी माता-पिता को मधुमेह जांच अवश्य करवाना चाहिए। इससे समय रहते जन्म लेने वाले शिशु को मधुमेह से सुरक्षित रखा जा सकता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो