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ऋण नहीं चुकाने वालों के खिलाफ बैंकों को पूरी स्वायत्तता : जेटली

जेटली ने सरकारी बैंक प्रमुखों के साथ हुई बैठक के बाद बताया कि एनपीए का स्तर अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है।

Nov 23, 2015 / 04:12 pm

जमील खान

Arun Jaitley

Arun Jaitley

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कुछ सरकारी बैंकों में गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के बढ़ते स्तर के लिए जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वालों (विलफुल डिफॉल्टर) को जिम्मेदार बताते हुए सोमवार को कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए बैंकों को पूर्ण स्वायत्तता है। जेटली ने सरकारी बैंक प्रमुखों के साथ हुई बैठक के बाद बताया कि एनपीए का स्तर अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है।

उन्होंने कहा, सरकारी बैंकों की स्थिति पर भी चर्चा हुई और विरासत में मिली एनपीए की समस्या अभी भी बरकरार है। उन्होंने बताया कि ज्यादा एनपीए वाले कुछ खास बैंकों के बारे में भी चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक इन बैंकों से अपना एनपीए कम करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा गया है। पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा कि बैठक में जानबूझकर बैंकों
का ऋण नहीं चुकाने की प्रवृति के बारे में भी चर्चा की गई।

उन्होंने कहा कि कुछ बैंकों का एनपीए बहुत ज्यादा है और इस संदर्भ में ऐसे कर्जदारों के बारे में बात की गई। कुछ कर्जदार तो ऐसे हैं जिनके कारण एक नहीं कई बैंकों का एनपीए बढ़ रहा है। वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसे कर्जदारों से निपटने के लिए बैंकों के पास पूरी स्वायत्तता है। साथ ही रिजर्व बैंक द्वारा हाल के दिनों में किए गए नीतिगत बदलावों से भी बैंकों को उनके खिलाफ कार्रवाई के ज्यादा अधिकार मिले हैं।

उन्होंने कहा कि देश में दिवालिया कानून जल्द बनाया जाएगा जिसके बाद काफी हद तक इस समस्या का समाधान हो जाएगा। विजय माल्या की दिवालिया विमान सेवा कंपनी ङ्क्षकगफिशर एयरलाइंस की चल संपत्ति की नीलामी के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के फैसले का अन्य सरकारी बैंकों द्वारा अनुसरण किए जाने की संभावना के बारे में जेटली ने कहा कि कानून के दायरे में काम करने का सभी बैंकों को अधिकार और स्वायत्तता है।

जेटली ने बताया कि तीन घंटे चली बैठक में सार्वजनिक बैंकों के अध्यक्षों तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के अलावा रिजर्व बैंक के प्रतिनिधियों तथा विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि इसमें आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में इस साल की गई 1.25 प्रतिशत की कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के बारे में बैठक में बैंकों से कोई चर्चा नहीं हुई।

उन्होंने कहा कि इस पर सरकार अलग से बैंकों से बात करेगी। सबसे पहले सचिवों ने अपने-अपने विभागों के अंदर आने वाले विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों तथा इसमें बैंकों के संभावित सहयोग पर प्रस्तुति दी। इसमें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग, कृषि, आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, कपड़ा तथा सौर ऊर्जा विभागों पर भी प्रस्तुति दी गई। इसके अलावा समाजिक
सुरक्षा योजनाओं की प्रगति तथा इसमें सार्वजनिक एवं निजी बैंकों के योगदान पर भी चर्चा की गई।

प्रधानमंत्री जनधन योजना, बीमा योजना, पेंशन योजना और मुद्रा योजना की समीक्षा के अलावा चालू वित्त वर्ष के दौरान इनकी आगे की दशा एवं दिशा पर भी बैठक में चर्चा हुई। वित्त मंत्री के अनुसार सभी योजनाओं को बेहतरीन प्रतिसाद मिल रहा है। जेटली ने बताया कि एनपीए की समस्या में ऊर्जा, इस्पात एवं हाइवे सेक्टरों का भी योगदान है।

उन्होंने बताया कि जहां हाइवे सेक्टर में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, वहीं ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इस्पात क्षेत्र के लिए राजस्व विभाग ने कुछ कदम उठाए हैैं। वित्त मंत्री ने कहा कि कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था विकास की राह पर है और पुरानी समस्याओं के दबाव से उबरने की जरूरत है।

सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि एनपीए कम करने के लिए आरबीआई ने कई कदम उठाए हैं, लेकिन इसके परिणाम आने में समय लगेगा। ऋण उठाव के बारे में उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ मांग भी बढ़ेगी और ऋण उठाव भी बेहतर होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की शाखाओं के अभाव के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक की शाखाओं का

अभाव समस्या नहीं है, बल्कि लोगों तक पहुंचना असल चुनौती है और भुगतान बैंक तथा लघु बैंकों के लिए डाकघर तथा अन्य कंपनियों को जारी लाइसेंस तथा तकनीकी प्लेटफॉर्मों की मदद से लोगों तक बैंङ्क्षकग सेवाओं की उपलब्धता बढ़ेगी।

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