केंद्र सरकार जीएसटी बिल पास कराने के लिए कर रही है पूरी कोशिश, लेकिन कांग्रेस की शर्तें बन रही हैं रोड़ा
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान
GST Bill पास कराना मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। सबसे बड़ी समस्या है कि बिल को राज्य सभा में पास कराने के लिए कांग्रेस का समर्थन किस तरह हासिल किया जाए। इसके लिए वित्त मंत्री विपक्षी दल से बात कर रहे हैं।
उधर कांग्रेस की मांग है कि तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे उत्पादक राज्यों में लगने वाले एक फीसदी अतिरिक्त टैक्स को खत्म किया जाए। संभावना जताई जा रही है कि मोदी सरकार इस मांग को मंजूर कर सकती है, लेकिन तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके इसे हटाने के विरोध में है।
आप पर होगा यह असरकांग्रेस की मांग है कि जीएसटी की दर 18 प्रतिशत कानून में ही तय कर दी जाए, जबकि सरकार दर तय करने का अधिकार अपने पास रखना चाहती है। उधर जीएसटी लागू होने से आपका खर्च बढ़ेगा या घटेगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि जीएसटी की दर क्या तय होती है।
अगर कांग्रेस की 18 फीसदी वाली मांग मान ली गई तो आप पर इसके होने वाले असर को ऐसे समझें। जीएसटी का अर्थ है सामान और सेवाओं दोनों पर ही कर लगेगा और एक्साइज, वैट, सर्विस टैक्स, ऑक्ट्रॉय, लग्जरी टैक्स आदि सब खत्म हो जाएगा। वर्तमान में आप ज्यादातर सामान पर दो टैक्स चुकाते हैं, एक केंद्र सरकार को एक्साइज और दूसरा राज्य सरकार को वैट। वैट ही पहले सेल्स टैक्स था। कुछ खास चीजों को छोड़ दें तो एक्साइज की अधिकतम दर 12.5 प्रतिशत है, जबकि वैट की दर अलग-अलग राज्यों में अलग अलग होती है। यानी कि आप मोटे तौर पर 25 से 26 फीसदी तक टैक्स चुकाते हैं।
ऐसे में जीएसटी आने से आपको लाभ होगा, क्योंकि वैट और एक्साइज दोनों हट जाएंगे और अगर आपको 18 प्रतिशत जीएसटी चुकाना पड़ता है तो ज्यादातर सामान सस्ता हो जाएगा। वहीं आप वर्तमान में सेवाओं पर 14.5 प्रतिशत कर चुकाते हैं। जैसे 1000 रुपए के मोबाइल बिल पर आप 145 रुपए सर्विस टैक्स देते हैं। जीएसटी आने के बाद यह भी 18 प्रतिशत हो जाएगा यानी कि आपको 145 की बजाए 180 रुपए चुकाने होंगे। इस तरह देखा जाए तो रेस्त्रां में खाना, हवाई टिकट, बीमा प्रीमियम आदि तमाम सेवाएं महंगी हो जाएंगी। यानी कि अगर आपको सामान सस्ता मिलेगा तो सेवाएं महंगी हो जाएंगी।