scriptदाल सब्जी के दामों में उतार चढ़ाव को महंगाई मानना गलत: जेटली | Fluctuation in food prices can not be consider as inflation : Jaitley | Patrika News

दाल सब्जी के दामों में उतार चढ़ाव को महंगाई मानना गलत: जेटली

Published: May 22, 2015 03:20:00 pm

“सब्जियों एवं दालों की कीमतों में वृद्धि अस्थायी
उतार-चढ़ाव हैं, इन्हें महंगाई का रूझान नहीं माना जा सकता”

Arun Jaitley

Arun Jaitley

नई दिल्ली। मोदी सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में महंगाई में कमी आने का दावा करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि सब्जियों एवं दालों जैसी कुछ वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि अस्थायी उतार-चढ़ाव हैं, इन्हें महंगाई का रूझान नहीं माना जा सकता। जेटली ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग )सरकार के एक साल पूरा होने के मौके पर राष्ट्रीय मीडिया सेंटर में आयोजित एक सं वाददाता सम्मेलन में सवालों के जवाब में कहा कि उपभोक्ता एवं थोक मूल्य सूचकांकों में एक साल में भारी कमी आई है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पिछले वर्ष अप्रेल के 8.59 प्रतिशत की तुलना में घटकर 4.87 प्रतिशत आ गया है। खाद्य मूल्य सूचकांक 14.7 प्रतिशत से घटकर 6.1 प्रतिशत के स्तर पर आ गया है। थोक मूल्य सूच कांक मार्च में शून्य से 2.33 प्रतिशत नीचे के स्तर पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की दर नीचे आई और सकल घरेलू उत्पाद बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गया है।सब्जियों और दालों जैसी वस्तुओं के दामों में उतार चढ़ाव आता हैं तो इसे रूझान नहीं माना जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राजग सरकार की सबसे अहम उपलब्धियों में से एक यह है कि पूरे साल भर कीमतें नियंत्रण में रहीं और मुद्रास्फीति काबू में रही। तेल की कीमतों में वृद्धि एवं सरकार की ओर से साल में तीन बार उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाने के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा कि साल में 11 बार कीमतें कम हुईं और 3-4 बार बढ़ीं। इस दौरान एक बार अंतर्राष्ट्रीय दामों में कमी का एक बार अंश तेल कंपनियों को गया ताकि ऊंची कीमतों पर खरीदे गए तेल को कम दाम पर बेचने से हुए घाटे को पूरा किया जा सके। इसके अलावा 11 बार यह अंश उपभोक्ताओं को गया।

जेटली ने कहा कि उत्पाद शुल्क में की गई वृद्धि से अर्जित धन देश में राजमार्गों, ग्रामीण सड़कों और रेलवे के विकास के लिए दिया गया है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक ढांचे पर खर्च करने से ही अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। चूंकि निजी क्षेत्र से अपेक्षित निवेश नहीं आने के कारण सरकार को इस क्षेत्र में धन खर्च करना पड़ता। इसलिए डीजल-पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने से अर्जित धन को इस क्षेत्र में खर्च किया जाएगा। यह भी जनता के लिए ही होगा।
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