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कमजोर मानसून का खाद्य महंगाई पर नहीं पड़ेगा असर : पीएचडी

Published: Jul 05, 2015 03:33:00 pm

इस साल थोक एवं खुदरा महंगाई घटकर क्रमश: 4.8 प्रतिशत और 3.8
प्रतिशत पर आ गई है

Monsoon in Karnataka

Monsoon in Karnataka

नई दिल्ली। देश में अच्छा या खराब मानसून की उम्मीद और आशंकओं के बीच इस वर्ष पिछले साल के मुकाबले थोक मूल्य सूचकांक आधारित (डब्ल्यूपीआई) महंगाई और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई के कम होने से खाद्य महंगाई में नरमी रहने की उम्मीद है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस साल थोक एवं खुदरा महंगाई घटकर क्रमश: 4.8 प्रतिशत और 3.8 प्रतिशत पर आ गई है और इसके दिसंबर 2015 तक 6 प्रतिशत से नीचे रहने की उम्मीद है।

वाणिज्य एवं उद्योग संगठन पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा कि पिछले 25 वर्षो में देश में मांग एवं आपूर्ति के बीच का असंतुलन खाद्य महंगाई को प्रभावित करता रहा है। मॉनसून के कमजोर या मजबूत रहने का खाद्य महंगाई के बढ़ने या घटने से अधिक संबंध नहीं है। इस पर मांग और आपूत्तिü के बीच कमजोर संबंध का सीधा असर होता है। बेहतर मॉनसून रहने के बावजूद खाद्य महंगाई में वृद्धि हो सकती है।

वहीं दूसरी ओर, अधिक खाद्य उत्पादन करनेवाले राज्यों में सिंचाई की बेहतर व्यवस्था होने के कारण मॉनसून पर अधिक निर्भर नहीं रहते हैं। उसके मुताबिक प्रति व्यक्ति आय और खाद्य महंगाई की वृद्धि के बीच गहरा संबंध है और खाद्य महंगाई का 40 प्रतिशत के आस-पास होना यह दर्शाता है कि लोगों के आय का स्तर बढ़ा है।

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