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15 करोड़ श्रमिक हड़ताल पर, बंगाल में हिंसा

Published: Sep 02, 2015 01:33:00 pm

श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने श्रमिक संगठनों से राष्ट्रहित में हड़ताल पर नहीं जाने की अपील की

Strike

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नई दिल्ली/मुंबई/लखनऊ/हैदराबाद/चेन्नई/कोलकाता/तिरूवनंतपुरम। श्रम कानूनों में प्रस्तावित बदलाव के विरोध में देश के दस बड़े श्रमिक संगठनों के करीब 15 करोड़ कर्मचारी और मजबूर बुधवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर चले गए। केन्द्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने हालांकि देश हित और श्रमिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए इन संगठनों से हड़ताल पर नहीं जाने की अपील की, लेकिन इसका संगठनों पर कोई असर नहीं पड़ा।

उन्होंने श्रमिक संगठनों को उनकी मांगों पर ध्यान देने के साथ ही श्रम कानूनों में किसी भी तरह का बदलाव उनसे सलाह किए बगैर नहीं करने का भरोसा भी दिलाया है। श्रमिक संगठनों ने अन्य मांगों के साथ ही न्यूनतम वेतन 15 हजार रूपए किए जाने की मांग भी रखी है। आज की हड़ताल से बैंक, बीमा, डाक और परिवहन सेवाएं तथा कोयला,खनिज और बिजली क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। हालांकि, सबसे ज्यादा असर परिवहन सेवाओं पर पड़ा। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली मे ऑटो वाले सड़कों पर नहीं उतरे।

बंद का असर कई राज्यों में देखने को मिला। पश्चिम बंगाल सरकार ने देशव्यापी हड़ताल के दौरान अपने कर्मचारियों की उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया है और गैरहाजिर रहने वालों के वेतन काटने की चेतावनी दी है, लेकिन इसके बावजूद वहां बंद का असर देखा जा सकता है।

न्यूनतम वेतन 15000 हजार रूपए करने तथा श्रम सुधारों को लेकर इंटक, एटक, सीटू, भामस, हिमस, टीयूसीसी, सेवा, एक्टू, यूटक, एलपीएफ और कर्मचारियों के महासंघों ने हड़ताल का आह्वान किया है। रेलवे को इस हड़ताल से बाहर रखा गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ इस हड़ताल में शामिल नहीं होगी।

हड़ताल का आह्वान करने वाले संगठनों के नेताओं का दावा है कि सरकार की हटधर्मिता के कारण वे हड़ताल का रास्ता अपनाने पर मजबूर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि मजदूर वर्ग में जो आक्रोश है, उससे हड़ताल को न केवल व्यापक सफलता मिलेगी, बल्कि अन्य क्षेत्र के लोगों का भरपूर समर्थन मिलेगा।

दिल्ली में हड़ताल से जन-जीवन अस्त-व्यस्त
केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ विभिन्न श्रमिक संगठनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के चलते बुधवार को सामान्य जीवन प्रभावित हुआ।

राजधानी दिल्ली में सड़कों पर आटोरिक्शा नहीं चलने के चलते जन-जीवन प्रभावित हुआ है। विद्यार्थी और ऑफिस जाने वाले लोग सड़कों पर वाहनों का इंतजार करने को मजबूर हैं। दिल्ली परिवहन निगम की बसें और दिल्ली मेट्रो रेलगाडियां हालांकि चल रही हैं।


बंगाल में बंद का आंशिक असर, छिटपुट हिंसा
ट्रेड यूनियनों की ओर से केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ बुलाए गए बंद का बुधवार को पश्चिम बंगाल में आंशिक असर दिखा। कहीं कहीं से छिटपुट हिंसा की खबरें मिलीं।

शहर में बड़े स्तर पर शैक्षिक संस्थान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बंद रहे, जबकि बस और मेट्रो रेल परिचालन सहित सार्वजनिक परिवहन सामान्य रहा। यात्रियों की संख्या आम दिनों से कम थी। निजी बसों और टैक्सियों की संख्या सामान्य से कम रही।

रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि बंद समर्थकों द्वारा कई ट्रेनें रूकवा देने की वजह से ईस्टर्न रेलवे और साउथ ईस्टर्न रेलवे दोनों से ही रेल सेवाएं प्रभावित रहीं।

रेल सेवाएं अधिकांशत: हड़ताल से अछूती रहीं। टैक्सियों की कमी के चलते यात्रियों को हावड़ा और सियालदाह रेलवे स्टेशन से आने-जाने में दिक्कत हुई। मुर्शिदाबाद, हावड़ा और नॉर्थ 24 परगना में झड़प की खबरें हैं। कुछ इलाकों में वाहनों में भी तोड़फोड़ की गई।


राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का असर केरल में भी
देश के दस बड़े श्रमिक संगठनों के शुरू हुई एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर केरल में भी देखने को मिला । शैक्षणिक संस्थायें, दुकानें और व्यसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें, टैक्सी और ऑटोरिक्शा भी सड़कों से नदारद रहें। हालांकि, रेल सेवा बाधित नहीं हुई है।

राज्य में हड़ताल शांतिपूर्ण है और अभी तक कहीं से भी किसी भी अप्रिय घटना की $खबर नहीं है। यातायात सेवा बाधित होने के कारण कर्मचारी अपने कार्यालय नहीं पहुंच सके। हड़ताल के कारण रोजाना कार्यालय जाने वाले यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा। कई यात्रियों को खासकर इलाज करवाने के लिए अस्पताल जाने वाले यात्रियों को पुलिस की मदद के लिए घंटो भर इंतजार करना पड़ रहा है।

राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में आयोजित होने वाली परीक्षाएं हड़ताल के कारण स्थगित कर दी गई हैं। इस बीच, केरल में कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ सरकार ने हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों के लिए “काम नहीं, वेतन नहीं” की घोषणा की है।

छुटटी पर जाने वाले कर्मचारियों के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। आज के दिन ड्यूटी से गैर हाजिर रहने वाले कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जा सकता है।


महाराष्ट्र भी देशव्यापी हड़ताल में शामिल
महाराष्ट्र भी देशभर में सरकारी, निजी सेक्टर, वित्तीय सेक्टर, बैंक, वित्तीय संस्थानों और कृषक समुदाय के कर्मचारियों की देशव्यापी हड़ताल में शामिल रहा। एक शीर्ष आयोजक ने यहां बुधवार को कहा कि कर्मचारी सरकार की “कर्मचारी विरोधी” नीतियों का विरोध कर रहे हैं।

तड़के-तड़के शुरू हुई हड़ताल में सरकार, बंदरगाह, कॉलेजों के प्रोफेसर, राज्य परिवहन और अन्य सेक्टरों का एक बहुत बड़ा तबका शामिल रहा। हड़ताल से सबसे ज्यादा वित्त और व्यापार सेक्टर प्रभावित हुए, जिन पर देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई निर्भर करती है।

ऑल इंडिया बैंक एंप्लॉयज एसोसिएशन (एआईबीईए) के उपाध्यक्ष वी. उतगी ने कहा, बैंकिंग एवं वित्तीय सेवा क्षेत्र में करीब करीब पूरी तरह हड़ताल है। राज्य परिवहन की बसें लगभग सड़कों से नदारद हैं। इसी तरह मुंबई पोर्ट ट्रस्ट में भी काम प्रभावित है। महाराष्ट्र के 15 लाख सरकारी कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हैं। प्रमुख यूनियनों से संबद्ध कुछ निजी क्षेत्र की कंपनियां और कार्यालय भी बंद हैं।

दिन में हजारों कर्मचारी और उनकी यूनियन एवं प्रतिनिधि बुधवार के आंदोलन की सफलता को दर्शान के लिए दक्षिण मुंबई में एक महारैली निकालेंगे। हड़ताल शांतिपूर्ण रही। मुंबई या महाराष्ट्र में कहीं किसी तरह की अप्रिय घटना घटने की खबर नहीं है।


कर्मचारियों की हडताल का मिला-जुला असर
कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर अपनी मांगो के समर्थन में उत्तर प्रदेश में कर्मचारी हड़ताल पर हैं। हड़ताल में बैंक कर्मियों के भी शामिल होने की वजह से उत्तर प्रदेश में हजारों करोड़ रूपए के लेन देन पर फर्क पडेगा। हालांकि, हड़ताल में रेलवे के साथ ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और बैक ऑफ बड़ौदा के कर्मचारी शामिल नहीं हैं।

हड़ताल में राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों के शामिल हो जाने की वजह से यात्रियों को खासी असुविधा हो रही है। कर्मचारी नेता राम गोविन्द मिश्र ने बताया कि केंद्र सरकार ने रेलवे, बैंकिंग और बीमा के क्षेत्र में एफडीआई को मंजूरी दे रही है। सरकार का यह निर्णय कर्मचारियों के हित में नहीं है क्योंकि इससे श्रम कानून कमजोर पड़ेगा।

उन्होंने बताया कि कर्मचारी पुरानी पेंशन नीति को लागू कराने के साथ ही बोनस बढ़ाने और न्यूनतम वेतन बीस हजार रूपए किए जाने की मांग कर रहे है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में राज्य कर्मचारी महासंघ, भवन निर्माण संघ, चतुर्थ श्रेणी और राज्य महासंघ, शुगर मिल एसोसिएशन, बिजली संगठन और शिक्षक संगठन हड़ताल में शामिल हैं। हड़ताल में भारतीय मजदूर संघ शामिल नहीं है।


राष्ट्रव्यापी बंद का असर तेलंगाना में भी
देशभर में आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर तेलंगाना में भी नजर आया और राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें एवं ऑटोरिक्शा सड़कों से नदारद रहें। रोजाना सफर करने वाले लोगों की जीवनरेखा कही जाने वाली परिवहन निगम की बसें आज निगम के 70 हजार कर्मचारियों के हड़ताल में भाग लेने के कारण डिपो में खड़ी रहीं।

ऑटोरिक्शा चालकों के संघ भी हड़ताल में शामिल हैं। वामपंथी मजदूर संघों ने राज्य में कई स्थानों पर बस डिपो के सामने प्रदर्शन किया। देश के दस बड़े श्रमिक संगठन हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं। तेलंगाना गैर राजपत्रित अधिकारी और तेलंगाना राजपत्रित अधिकारी संघों ने श्रमिक संगठनों के साथ एकजुटता दिखाते हुए भोजनावकाश के दौरान विरोध-प्रदर्शन करने का आह्वान किया है।


तमिलनाडु में बंद का सामान्य जनजीवन पर असर नहीं
तमिलनाडु में बुधवार को 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन के देशव्यापी बंद से सामान्य जनजीवन ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ है। दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर देशव्यापी बंद का आह्वान किया है, जिसे विभिन्न क्षेत्रों के कई श्रमिक संघों ने भी समर्थन दिया है।

तमिलनाडु में सड़कों पर सिटी बसों और ऑटोरिक्शा की आवाजाही सामान्य दिनों की तरह ही है, हालांकि सड़कों पर भीड़भाड़ कम देखी जा रही है। स्कूल और कॉलेज सामान्य दिनों की तरह ही खुले हैं।

राज्य के अलग अलग जिलों से मिल रही रिपोर्ट के मुताबिक, बंद के कारण बस यातायात प्रभावित हुआ है। तमिलनाडु एवं केरल के बीच अंतर-राज्य परिवहन भी बंद के कारण प्रभावित है। कपड़ों के व्यवसाय के लिए विख्यात तिरूप्पुर शहर में बंद के कारण दुकानें बंद हैं।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) एवं इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) को छोड़कर कई राष्ट्रीय बैंकों में काम बंद है। बैंकिंग क्षेत्र के कई बड़े संघ बंद का समर्थन कर रहे हैं। बुधवार को देशव्यापी बंद का आह्वान 10 केंद्रीय टे्रड यूनियन की 12 सूत्री मांग के समर्थन के लिए भी किया गया है।

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