केंद्र सरकार अब ऐसे लोगों की पहचान करेगी, जिन पर टैक्स लायबिलिटी बनती है लेकिन वे टैक्स दे नहीं रहे हैं। इसके लिए सरकार खास तौर पर छोटे शहरों पर फोकस करेगी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) ने देश भर के रीजनल इनकम टैक्स प्रमुखों को पत्र लिख कर संभावित टैक्सपेयर्स की पहचान करने को कहा है।
नई दिल्ली. केंद्र सरकार अब ऐसे लोगों की पहचान करेगी, जिन पर टैक्स लायबिलिटी बनती है लेकिन वे टैक्स दे नहीं रहे हैं। इसके लिए सरकार खास तौर पर छोटे शहरों पर फोकस करेगी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) ने देश भर के रीजनल इनकम टैक्स प्रमुखों को पत्र लिख कर संभावित टैक्सपेयर्स की पहचान करने को कहा है। सीबीडीटी चेयरमैन सुशील चंद्रा ने रीजनल आईटी प्रमुखों को पत्र लिख कर वित्त वर्ष 2017-18 में टैक्स बेस बढ़ाने के लिए अधिकतम प्रयास करने को कहा है। पिछले वित्त वर्ष में 91 लाख नए टैक्सपेयर्स टैक्स नेट में आए हैं। चंद्रा ने अपने पत्र में कहा है कि नोटबंदी और ऑपरेशन क्लीन मनी के मद्देनजर इनकम टैक्स विभाग द्वारा की गई डाटा माइनिंग और डाटा एनालिटिक की वजह से संभावित टैक्सपेयर्स की पहचान करना अब पहले की तुलना में आसान हो गया है। उन्होंने कहा कि टैक्स बेस बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उसके बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं।
जुडेंगे नये करदाता
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीबीडीटी ने नए टैक्सपेयर्स को जोड़ने के लिए कोई लक्ष्य नहीं तय किया है लेकिन अगर प्रभावी कदम उठाए गए तो मौजूदा वित्त वर्ष 2017-18 में 2 करोड़ नए टैक्सपेयर्स टैक्स नेट में जुड़ सकते हैं। मौजूदा समय में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास 6 से 7 करोड़ रजिस्टर्ड टैक्सपेयर्स हैं। सीबीडीटी ने रीजनल हेड से संभावित टैक्सपेयर्स की पहचान के लिए लोकल इंटेलिजेंस, मार्केट एसोसिएशन और ट्रेड बॉडीज से भी जानकारी लेने को कहा है कि कौन टैक्स दे सकता है लेकिन भुगतान नहीं कर रहा है। इसके लिए विभाग के पास उपलब्ध डाटा को यूज करने और ऑपरेशन क्लीन मनी के तहत क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन के लिए भी कहा गया है।
रीजन के आधार पर रणनीति
सीबीडीटी ने कहा है कि टैक्स बेस बढ़ाने के लिए रीजन के हिसाब से रणनीति बनाई जानी चाहिए जिससे ज्यादा से ज्यादा ऐसे लोगों की पहचान की जा सके जो टैक्स लायबिलिटी होने के बावजूद टैक्स नहीं देते हैं। इसके लिए विभाग को अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाने को कहा गया है।