scriptनोटबंदी के कारण जीएसटी दरों की हो सकती है समीक्षा: सीबीईसी | GST rate may be revised because of demonetisation impact | Patrika News

नोटबंदी के कारण जीएसटी दरों की हो सकती है समीक्षा: सीबीईसी

Published: Dec 08, 2016 07:11:00 pm

केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अध्यक्ष नजीब शाह ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए एक ही दर रखे जाने को खारिज करते हुये आज कहा कि नोटबंदी के मद्देनजर जीएसटी दर टैरिफ की समीक्षा की जा सकती है।

GST Reates

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नई दिल्ली। केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अध्यक्ष नजीब शाह ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए एक ही दर रखे जाने को खारिज करते हुये आज कहा कि नोटबंदी के मद्देनजर जीएसटी दर टैरिफ की समीक्षा की जा सकती है और उनका संगठन इसको एक अप्रैल 2017 से लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। शाह ने उद्योग संगठन एसोचैम द्वारा जीएसटी पर आयोजित सम्मेलन में कहा कि नोटबंदी के कारण जीएसटी दरों की समीक्षा की जा सकती है और यह उचित समय पर इसके बारे में जानकारी दी जायेगी। उन्होंने कहा कि 500 और एक हजार रुपए के पुराने नोटों का प्रचलन बंद किये जाने के मद्देनजर सीबीईसी एंटी प्रोफिटीङ्क्षरग मैकेनिज्म पर विचार करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से जीएसटी क्रियान्वित करने की पूरी तैयारी हो चुकी है और इसके लिए उद्योग भी स्वयं को तैयार कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र एक अप्रैल 2017 से जीएसटी को लागू करने के लिए तैयार है। 

जीएसटी के दोहरे प्रशासनिक नियंत्रण के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभी केंद्र तथा राज्य अलग अलग कर के लिए दोहरा नियंत्रण है और जीएसटी के लागू होने पर भी दोहरा नियंत्रण रहता है तो इसमें अलग क्या होगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र या राज्य प्रशासन एक तरह के करदाता पर नियंत्रण रख सकते हैं इसलिए जहां तक दोहरे नियंत्रण का सवाल है तो यह सुनिश्चित किया जायेगा कि राज्य और केन्द्र की शक्तियों पर असर नहीं पड़े। इसके लिए केन्द्र और राज्य दोनों तैयार है और शीघ्र ही इसका भी समाधान हो जायेगा। 

अभी एक दर रखना संभव नहीं

 शाह ने कहा कि जीएसटी के तहत कई तरह की दरें आर्थिक और राजनीतिक कारणों से आवश्यक है। जीएसटी के मद्देनजर राज्यों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि को लेकर सरकार भी आश्वस्त नहीं है और यह 10 हजार करोड़ रुपये से लेकर 20 हजार करोड़ रुपये के बीच हो सकता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य को मिलकर आठ करोड़ रुपये से अधिक का कर राजस्व संग्रहित करना होगा। जीएसटी के लिए एक ही दर रखे जाने की मांगों का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि यह सुन-सुन कर वह थक चुके हैं। उन्होंने कहा कि खाद्य तेलें, कारें , आटा और कंप्यूटर के लिए कैसे एक ही दर हो सकती है। अभी एक दर नहीं रखी जा सकती है लेकिन दो दशक बाद ऐसी परिस्थितियों आयेंगी तो संभवत ऐसा किया जा सकता है। 

अभी कई दरें रखी गयी हैं। उन्होंने कहा कि बहुत तरह की कमोडिटी है , जिन पर राज्य प्रशासन कर नहीं वसूलता है लेकिन केन्द्रीय उत्पाद और सेवा शुल्क वसूला जाता है। उन्होंने कहा कि स्टाम्प शुल्क अभी भी राज्य वसूल रहे हैं और इसको लेकर वे बहुत सक्रिय हैं लेकिन अब सवाल यह है कि क्या हम रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में ला रहे हैं। इसके लिए हम तैयार हैं। नोटबंदी के मद्देनजर रियल एस्टेट को इसके दायरे लाना सही कदम नहीं होगा। शेखर अर्चना वार्ता नननन
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