script‘मॉनसून उम्मीदों के अनुरूप रहा तो और तेजी से दौड़ेगी अर्थव्यवस्था’ | If we receive monsoon as expected, economy will run faster : Jaitley | Patrika News
अर्थव्‍यवस्‍था

‘मॉनसून उम्मीदों के अनुरूप रहा तो और तेजी से दौड़ेगी अर्थव्यवस्था’

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से ही विश्व में सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है

May 05, 2016 / 06:10 pm

जमील खान

Arun Jaitley

Arun Jaitley

नई दिल्ली। सरकार ने स्वर्ण आभूषण कारोबार पर एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क को वापस लेने से इनकार करते हुए गुरुवार को कहा कि यदि मॉनसून ने अनुमान के अनुरूप साथ दिया तो देश की अर्थव्यवस्था और तेजी से दौड़ेगी। लोकसभा में वित्त विधेयक 2016 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से ही विश्व में सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। यदि मानसून पूर्वानुमान के मुताबिक रहा तो विकास गति और अधिक रहेगी। दो साल के कमजोर मानसून के बाद इस वर्ष सामान्य की तुलना में अधिक बारिश होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

जेटली के जवाब के बाद लोकसभा ने 55 संशोधनों के साथ 2016-17 के बजट को मंजूरी दे दी। बजट में स्वर्ण कारोबार पर लगाए गए एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क को वापस लेने से इनकार करते हुए जेटली ने कहा कि यह छोटे कारोबारियों और कारीगरों पर लागू नहीं होगा। सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि उत्पाद शुल्क 12 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार पर ही लगेगा।

उत्पाद शुल्क लगाए जाने का समर्थन करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह कुछ राज्यों में स्वर्ण आभूषण कारोबार पर लगे शुल्क के मुकाबले काफी कम है। कांग्रेस द्वारा स्वर्ण आभूषण कारोबार पर एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाए जाने का विरोध किए जाने पर जेटली ने कहा कि यदि पार्टी को इस पर आपत्ति है तो वह इसकी शुरुआत केरल से करे जहां उसकी सरकार है। केरल सरकार पांच प्रतिशत का मूल्यवर्धित कर हटाकर (वैट) इसकी शुरुआत कर सकती है।

विश्व की विपरीत चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था की तेजी को बनाए रखने के लिए जेटली ने कहा कि कृषि, बैंकिंग और उद्योग की हरसंभव मदद की जाएगी। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया जारी रहेगी और सरकार काले धन पर अंकुश लगाने की अपनी मुहिम से पीछे नहीं हटेगी। सरकार के प्रयासों से 71 हजार करोड़ रुपए की अघोषित राशि का पता लगाया गया है।

जेटली ने कहा कि केन्द्र का कृषि आय पर आयकर लगाने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने राज्यों को भी सलाह दी कि वह कृषि आय पर कोई कर नहीं लगाए। वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि से मोटी कमाई के मामले गिने चुने हैं और जो लोग अन्य आय को छुपाने के लिए खेती की कमाई का सहारा लेते हैं, कर अधिकारी उनसे निपटेंगे। बैंकों की बढ़ती गैर निष्पादित राशि (एनपीए) पर चिंता जताते हुए जेटली ने कहा कि बैंक अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और एनपीए को कम करने के लिए प्रभावी कानून बनाए जा रहे हैं। बैंकों की सेहत सुधारने के लिए सरकार उनमें पूंजी निवेश कर रही है जिससे कि विकास कार्यों के लिए ऋण की कमी नहीं होने पाए।

वित्तमंत्री ने कहा कि एनपीए को छुपाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। इसे बैंलेस सीट में दिखाना चाहिए और पूंजी निवेश के जरिए इसे दूर किया जाएगा। सरकार बैंकों में और पूंजी डाल रही है। जेटली ने कहा कि दो वर्ष के सूखे के बाद इस साल मानसून के बारे में जो भविष्यवाणी की गई है अगर वह सही रही तो इससे कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों की आय बढ़ेगी। यदि ग्रामीण क्षेत्रों की मांग बढ़ी तो अर्थव्यवस्था को और बल मिलेगा। वर्ष 2015 में सकल घरेलू उत्पाद 7.6 प्रतिशत रहा था और चालू वित्त वर्ष में इसके 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद लगाई गई है।

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