भारत और सिंगापुर ने आज संशोधित दोहरा कराधान बचाव संधि पर हस्ताक्षर किये जिसके तहत सिंगापुर के रास्ते आने वाले निवेश पर भारत में पूँजीगत लाभ पर कर लगेगा।
नई दिल्ली। भारत और सिंगापुर ने आज संशोधित दोहरा कराधान बचाव संधि पर हस्ताक्षर किये जिसके तहत सिंगापुर के रास्ते आने वाले निवेश पर भारत में पूँजीगत लाभ पर कर लगेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस संशोधित संधि पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद संवाददाताओं से कहा कि देश का कालाधन सिंगापुर, मॉरिशस और साइप्रस के रास्ते आ रहा था और इन देशों के साथ पूर्व में किये गये दोहरा कराधान बचाव संधि की वजह से उस निवेश पर होने वाले लाभ पर कर नहीं लगता था।
मोदी सरकार ने एक वर्ष के भीतर इन तीनों देशों के साथ दशकों पहले हुयी संधिओं को संशोधित कर देश के कालेधन को बाहर भेजकर फिर से निवेश के रूप में वापस लाने के खेल पर रोक लगाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि मॉरिशस के साथ संधि को मई महीने में संशोधित किया गया था जबकि साइप्रस के साथ संधि नवंबर में संशोधित हुयी है। अब ङ्क्षसगापुर के साथ संधि संशोधित की गयी है। मॉरिशस के साथ संधि को वर्ष 1996 से संशोधित करने की कोशिश की जा रही थी। उन्होंने कहा कि संशोधित संधि के तहत 31 मार्च 2017 तक होने वाले निवेश पर पूँजीगत लाभ कर नहीं लगेगा।
लेकिन, 01 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2019 के दौरान होने वाले पूँजीगत लाभ पर 50 फीसदी कर लगेगा जबकि 01 अप्रैल 2019 से घरेलू दर से पूर्ण पूँजीगत लाभ कर लगेगा। उन्होंने कहा कि कालेधन के विरुद्ध जारी लड़ाई को आगे बढ़ाते हुये इस वर्ष नवंबर में स्विटजरलैंड के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान का करार किया गया है। इसके तहत वर्ष 2018 में स्विटजरलैंड में किसी भी तरह से किये जाने पर निवेश या जमा के बारे में वर्ष 2019 से जानकारी मिलने लगेगी।