तेल में उबाल
कच्चे तेल की किमतों में उछाल तब आया है जब ओपेक ने कहा कि वह दूसरे तेल उत्पादक देशों के साथ दामों को नियंत्रण में लाने के लिए समन्वय स्थापित करेगा। ग्लोबल ट्रेंड के मुताबिक लोकल किमतों का तय करने के लिए भारतीय ईधन रिटेलर्स महिने में दो बार किमतों का रिव्यू करते है। अगला रिव्यू सितंबर के बीच होगा, जिसमें दाम बढ़ने की पूरी आशंका है। क्रूड में गिरावट ने इस साल देश में ईधन सस्ता करने में अहम भूमिका निभाई है, जून से लेकर अब तक पेट्रोल और डीजल की किमतों में 6.5 और 9 रूपए की गिरावट आ चुकी है। बीते साल जून से क्रूड ऑयल में आ रही गिरावट भारत के लिए वरदान साबित हुई है।
जीडीपी की स्थिति
दरअसल वित्तीय वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही के जीडीपी आंकडे में 0.5 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिसमें बाजार में भी अस्थिरता कायम है। यह आंकडा अप्रेल से जून तिमाही पर आधारित है जबकि जनवरी से मार्च तिमाही में यह आंकडा 7.5 प्रतिशत था। सरकार द्वारा जारी आंकडे के मुताबिक जीडीपी 7.5 से गिरकर 7 प्रतिशत रह गई है। जिससे काफी हद तक उम्मीदें टूटी हैं।