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महंगाई पर लगाम लगाना प्राथमिकता : राजन

Published: Jan 30, 2016 02:46:00 pm

महंगाई के प्रभाव को समझाने के लिए रिजर्व बैंक के गवर्नर राजन ने दिया ‘डोसा अर्थशास्त्र’ का उदाहरण

Raghuram Rajan

Raghuram Rajan

 नई दिल्ली। रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने महंगाई पर अंकुश लगाना केंद्रीय बैंक की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि आम लोगों की बचत के लिए मुद्रास्फीति की ऊंची दर ‘साइलेंट किलर’ की तरह है। राजन ने शुक्रवार देर रात यहां सी.डी. देशमुख मेमोरियल व्याख्यान में महंगाई के प्रभाव को समझाने के लिए ‘डोसा अर्थशास्त्र’ का उदाहरण देते हुए कहा, ‘महंगाई दर के नीचे रहने से जमा दर कम रहने के बावजूद एक आम पेंशनभोगी अपने मूलधन और उस पर मिलने वाले ब्याज से अधिक डोसा खरीद सकता है। आम लोगों की बचत को महंगाई के दीमक से बचाना रिजर्व बैंक की प्राथमिकता है।’

उन्होंने कहा कि मुझे लगातार पेंशनभोगियों के पत्र मिलते रहते हैं, जिनमें लिखा होता है कि ‘पहले एक साल की परिपक्वता अवधि वाली जमाओं पर मुझे 10 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलता था, लेकिन अब यह प्रतिशत केवल आठ रह गया है। आप बैंकों से मुझे अधिक ब्याज देने को कहें, जिससे मेरी जरूरतें पूरी हो सकें।’ आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आज एक सेवानिवृत्त पेंशनभोगी अपनी बचत से अधिक से अधिक खरीदने में सक्षम है। लेकिन, वह इसे समझ नहीं पा रहे हैं क्योंकि उनका पूरा ध्यान केवल ब्याज की नीची दर पर केंद्रित हो गया है। वह महंगाई दर में आई गिरावट से मिलने वाले लाभ को नहीं समझ पा रहे हैं, जो पहले के 10 प्रतिशत से कम होकर 5.5 प्रतिशत रह गई है।

राजन ने इस संदर्भ में ‘डोसा अर्थशास्त्र’ का उदाहरण देते हुए कहा, ‘शुरुआत में पेंशनभोगी 50 रुपए की दर से एक लाख रुपए की बचत राशि से 2000 डोसा खरीद सकता था। लेकिन, निवेश से वह और अधिक खरीदना चाहता है। उनके मूलधन पर एक साल में 10 फीसदी की दर से दस हजार रुपए मिले। इसी अनुपात में महंगाई बढऩे से 50 रुपए का डोसा 55 रुपए का हो गया। यानि 10 हजार रुपए में करीब 182 डोसे खरीदे जा सकते हैं।’

वहीं, दूसरी ओर आठ प्रतिशत की दर से मूलधन पर 8000 रुपए ब्याज मिला। लेकिन, महंगाई दर 5.5 फीसदी पर आने से एक डोसा की कीमत 52.75 रुपये रह गई और ब्याज के आठ हजार रुपए में केवल 152 डोसे खरीदे जा सकते हैं। इस प्रकार पेंशनभोगी अपने आप को ठगा हुआ महसूस करता है। लेकिन, किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले यह भी सोचिए कि उसे ब्याज के साथ मूलधन भी मिलेगा और इससे खरीदे जा सकने वाले डोसों की संख्या भी महंगाई के हिसाब से तय होगी।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार ऊंची महंगाई के दौर में मूलधन और उस पर प्राप्त ब्याज की राशि मिलाकर 2000 डोसा खरीदे जा सकते थे, लेकिन निम्न महंगाई की अवधि में मूलधन और बचत की राशि से पेंशनभोगी 2048 डोसे खरीद सकते हैं। राजन ने कहा कि महंगाई दर में आई गिरावट सरकार और आरबीआई के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। इसमें वैश्विक स्तर पर कमोडिटी के सस्ते होने की भी अहम भूमिका रही है। उल्लेखनीय है कि राजन ने सितंबर 2013 में रिजर्व बैंक गवर्नर का पद संभाला था। उस समय महंगाई दर दहाई अंकों में थी। सरकार और उनके प्रयासों से वर्तमान में यह घटकर 5.6 प्रतिशत रह गई है।
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