ट्राई ने मोदी के डिजीटल इंडिया प्रोजेक्ट को लिया आड़े हाथों
Published: Apr 21, 2015 11:50:00 am
प्रोजेक्ट के अंतर्गत मार्च 2015 तक 50 हजार और मार्च 2016 तक 1.5 लाख
गांवों को इससे जोड़ने का लक्ष्य है
नई दिल्ली। पीएम मोदी का डिजीटल इंडिया प्रोजेक्ट अपनी रफ्तार से बहुत धीमे है। इसकी धीमी प्रगति के चलते टेलिकॉम नियामक ट्राई ने सवाल उठाए हैं। गांवों को ब्रॉडबैंड सुविधा उस स्पीड से नहीं मिल पा रही है, जितनी से मिलनी चाहिए थी। ट्राई का कहना है कि सरकार को इस योजना का एक बार फिर से विश्लेषण करना चाहिए।
क्या है योजना
मोदी सरकार ने दिसंबर 2016 तक करीब ढाई लाख ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड सुविधा देने की योजना बनाई है। इस नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क प्रोजेक्ट के अंतर्गत मार्च 2015 तक 50 हजार और मार्च 2016 तक 1.5 लाख गांवों को इससे जोड़ने का लक्ष्य है। अगर ऎसा नहीं हुआ तो प्रोजेक्ट की लागत बहुत बढ़ जाएगी, लेकिन मार्च 2015 तक केवल 20 हजार गांव ही इस योजना से जुड़ पाएं हैं।
प्रोजेक्ट में कई खामियां
ट्राई का कहना है कि प्रोजेक्ट में कई तरह की कमियां है, जिसके चलते ये वक्त पर पूरा नहीं हो रहा है और प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। प्रोजेक्ट की डिजाइनिंग में कमियां, उपक रण की सप्लाई में देरी जैसे कारणों के चलते प्रोजेक्ट की रफ्तार धीमी है। साथ ही इस प्रोजेक्ट की कंपनियों बीएसएनएल, रेलटेल और पावरग्रिड में भी आपस में तालमैल की कमी है।
प्रोजेक्ट पूरा होने पर ये है लाभ
इस प्रोजेक्ट के सफलता पूर्वक एग्जीक्यूट होने पर गांवों को 100 एमबीपीएस स्पीड में ब्रॉडबैंड सेवाएं मिलेगी। जिससे गांवों के लोग भी ई-सर्विसेज का लाभ उठा पाएंगे। साथ ही वे इंटरनेट से जुड़े अन्य काम भी आसानी से कर पाएंगे।