scriptआरबीआई गवर्नर ने कहा, बढ़ते सरकारी ऋण से देश की साख प्रभावित | Urjit Patel urges Govt to be mindful of debt levels | Patrika News

आरबीआई गवर्नर ने कहा, बढ़ते सरकारी ऋण से देश की साख प्रभावित

Published: Jan 11, 2017 08:14:00 pm

Submitted by:

umanath singh

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि बढ़ते सरकारी ऋण के कारण सकल घरेलू उत्पाद पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, जिससे देश की साख भी प्रभावित हो रही है। आठवें वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सरकार को संघीय तथा राज्य सरकार के ऋण में कटौती करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। 

urjit patel

urjit patel

स्ह्लशह्म्4 ष्टशस्रद्ग : ष्ट-२६-हृह्रष्ठ२-१६४४१

गांधीनगर. रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि बढ़ते सरकारी ऋण के कारण सकल घरेलू उत्पाद पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, जिससे देश की साख भी प्रभावित हो रही है। आठवें वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सरकार को संघीय तथा राज्य सरकार के ऋण में कटौती करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत जी20 देशों के सर्वाधिक वित्तीय घाटे वाले देशों में से एक है। पटेल ने कहा कि आरबीआई ने महंगाई दर का लक्ष्य चार प्रतिशत रखा है और हमें यह सुनिश्चित करना है कि यह लक्ष्य हासिल हो। मौद्रिक नीति के अतिरिक्त महंगाई दर सरकार की सहयोगात्मक नीतियों से घटी है। कम और स्थिर महंगाई दर अर्थपूर्ण ब्याज दर ढांचे के लिए जरूरी है।

विकास का शॉर्टकट रास्ता नहीं

आरबीआई प्रमुख ने कहा कि ऋण या भविष्य की पीढिय़ों के संसाधनों का दोहन विकास का कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं है। इसके बदले, ढांचागत सुधार और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में सरकारी खर्च के तरीके को बदल कर होने वाला विकास स्थायी होगा। सार्वजनिक परिवहन में निवेश खासकर रेलवे और शहरी परिवहन पर खर्च करने से लागत में कमी आ सकती है और उत्पादकता बढ़ सकती है। इससे तेल आयात का बिल कम होगा और शहरों के वायु प्रदूषण में कमी इसका अतिरिक्त लाभ है। उन्होंने कहा कि भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) गिफ्ट एक अत्याधुनिक आर्थिक क्षेत्र है, जो वैश्विक कंपनियों को भारत में प्रतिस्पर्धात्मक पहुंच देता है।

आईएफएससी अपने लक्ष्यों को पूरा कर पाए, इसके लिए जरूरी है कि इसके संचालन के नियम सोच-समझ कर लागू हों, जिन्हें कारोबार के सरलीकरण को ध्यान में रखकर बनाया गया हो। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पूंजीकरण को दिया जाने वाला सहयोग घरेलू बैंङ्क्षकग प्रणाली को पूंजीकृत करेगा, जिससे विदेशी आईएफएससी में भी कारोबार करने में आसानी होगी। इसीलिए यह जरूरी है कि बाहरी वित्तीय केंद्रों को आकर्षक बनाने के दिशा में घरेलू बैंङ्क्षकग प्रणाली को पूंजीकृत करने का भी प्रावधान हो। उन्होंने साथ ही भारत में वित्तीय करारों का संचालन करने वाले मौजूदा कानूनों की समीक्षा की बात की। गिफ्ट सिटी का आईएफएससी 2008 की वैश्विक मंदी के बाद संभवत पहली बार खुला केंद्र है। आरबीआई आईएफएससी से संबद्ध सभी पक्षों के साथ गिफ्ट के विकास में मदद के लिए हाल के वर्षाें में विभिन्न विषयों पर काम कर रहा है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो