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अर्थव्‍यवस्‍था

सब्जियों के थोक भाव गिरे, फिर भी मंडी में बिक रही हैं महंगी

सब्जियों के थोक भाव पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले कम हैं, लेकिन इसका
फायदा ग्राहकों को नहीं मिल पा रहा

May 03, 2015 / 04:05 pm

अमनप्रीत कौर

Vegetables

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नई दिल्ली। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद समाप्त वित्त वर्ष में सब्जियों प्याज, बैंगन, फूलगोभी, बंदगोभी, टमाटर और अदरक के थोक भाव में वित्त वर्ष 2013-14 के मुकाबले कमी तो आई, लेकिन इ नकी खुदरा कीमतों में हुई तेज बढ़ोतरी ने औसत परिवार का बजट बिगाड़ दिया। वाणिज्य एवं उद्योग संगठन एसोचैम की रिपोर्ट में कहा गया है कि आपूर्ति शृंखला में सुधार नहीं होने तथा मंडी में कारोबारियों और वेंडरों के कई स्तरों की उपस्थिति से इस दौरान थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई के बीच का अंतर काफी तेजी से बढ़ा है।

रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2014-15 में मंडियों में प्याज की थोक कीमत में इसके पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 32 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जबकि खुदरा बाजार में इसे 28.9 प्रतिशत ऊँचे भाव पर बेचा गया। इसी तरह अन्य सब्जियों के थोक और खुदरा दाम में भी काफी अंतर देखा गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि आलोच्य अवधि में अदरक का थोक भाव 18 प्रतिशत गिरा वहीं इसकी खुदरा कीमत में 1 6.4 प्रतिशत की तेजी रही। साथ ही थोक मंडियों में बैंगन के दाम में 18.9 प्रतिशत की कमी आई, जबकि खुदरा बाजार में यह 15.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ बिका। टमाटर का थोक मूल्य 10.7 प्रतिशत घटा, जबकि खुदरा मूल्य 10.5 प्रतिशत बढ़ गया। ठीक यही रूझान अन्य सब्जियों और खाद्य पदार्थों में भी देखा गया।

एसोचैम ने कहा कि आपूर्ति शृंखला में सुधार नहीं होने और इस प्रक्रिया में कारोबारियों और वेंडरों के कई स्तर होने से खुदरा बाजार तक आते-आते सब्जियों के दाम में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हो जाती है। उसने कहा कि अगर इस समस्या का समाधान करना है तो संगठित कंपनियों द्वारा प्रबंधित आधुनिक आपूर्ति शृंखला को अपनाना और इसमें स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। उसने कहा कि इस दौरान पूरे देश के खुदरा बाजार में सब्जियां थोक भाव के मुकाबले औसतन 49.2 प्रतिशत अधिक महंगी बेची गई। इसी तरह जनवर-मार्च 2015 के दौरान थोक भाव की तुलना में सब्जियों की खुदरा कीमत 52.2 प्रतिशत अधिक रही।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2014-15 में पूरे देश में सब्जियों के थोक भाव में इसके पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले औसतन 6.8 प्रतिशत की कमी आई है, लेकिन इसका फायदा खुदरा खरीददारों को नहीं मिल पाना एक बड़ी समस्या है। रिपोर्ट के अनुसार समीक्षाधीन अवधि में सब्जियों की थोक और खुदरा महंगाई के बीच के अंतर में लगातार तेजी का रूझान देखा गया। समाप्त वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सब्जियों की दोनों महंगाई का अंतर 2.3 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.5 प्रतिशत रहा।

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