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नि:शक्त विवाहित बेटी CGHS सुविधा लेने की अधिकारी नहीं

Published: Nov 18, 2015 04:39:00 pm

नि:शक्त लेकिन विवाहित बेटी केन्द्र सरकार की मेडिकल सुविधा (सीजीएचएस) के तहत इसी स्थिति में पुत्र के विपरीत सब्सिडाइज्ड मेडिकल सुविधा लेने की अधिकारी नहीं है

government employees

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नई दिल्ली। केन्द्रीय कर्मचारी की नि:शक्त लेकिन विवाहित बेटी केन्द्र सरकार की मेडिकल सुविधा (सीजीएचएस) के तहत इसी स्थिति में पुत्र के विपरीत सब्सिडाइज्ड मेडिकल सुविधा लेने की अधिकारी नहीं है। यह बात स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने पेंशन और पेंशनर्स विभाग को भेजे एक परिपत्र में कही है। इसमें कहा गया है कि एक बार विवाहित हो जाने के बाद बेटी अपने पति से जुड़ जाती है। उसे उसी तरह से प्रमुख आश्रित की तरह से नहीं माना जा सकता। हालांकि पुत्र और पुत्री के लिए निर्भरता की परिभाषा की एक-दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा था कि वह पेंशनर्स संगठन के उन “सुझावों का परीक्षण” करे जिसमें सरकारी कर्मचारियों की मंद बुद्धि की विवाहित पुत्रियों के लिए भी सीजीएचएस का दायरा बढ़ाने की मांग की गई थी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सुझाव को खारिज करते हुए पेंशन विभाग को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सीजीएचएस से जुड़े अपने 2007 के आदेश का हवाला देते हुए किसी तरह के बदलाव से इनकार कर दिया। इस आदेश के अनुसार सरकारी कर्मचारी का बेटा यदि किसी बीमारी से पीडित है तो आजीवन सीजीएचएस का लाभ ले सकता है जब तक कि वह खुद कमाने न लगे।

यदि बेटा सामान्य है तो उसे केवल 25 साल की उम्र या कमाने दोनों मे से जो भी पहले हो, तक यह सुविधा मिलेगी। वहीं बेटी अगर शादी कर लेती या फिर उसकी नौकरी लग जाती है तो उसे सीजीएचएस का फायदा नहीं मिल सकता। उसे केवल तभी फायदा मिल सकता है जब शादी होने के बाद उसका तलाक हो जाए, त्याग दिया जाए या फिर पति से अलग हो जाए। साथ ही पति की मौत होने पर भी इस सुविधा का लाभ लिया जा सकता है। सरकारी कर्मचारी की बहन के संदर्भ में भी यहीं नियम लागू होता है।

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