लखनऊ। सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें और लंबित मांगों से गुस्साए प्रदेश के करीब बीस लाख केन्द्रीय और राज्यकर्मी संयुक्त रूप से शुक्रवार को काला दिवस मनाकर अपना विरोध दर्ज कराया। केन्द्रीय और राज्य कर्मचारियों ने काला फीता बांधकर पूरे प्रदेश में आम सभाओं का आयोजन किया और अपना विरोध दर्ज कराया। इस प्रदर्शन में मुख्य रूप से रेलवे, पोस्टल, आयकर सहित राज्य के विभिन्न महकमों के कर्मचारी शामिल रहे।
केन्द्र-राज्य कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले हो रहे इस प्रदर्शन में केन्द्रीय और राज्यकर्मियों की लंबित मांगों की पूर्ति न होने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में कर्मचारियों के साथ धोखा किया गया है। कर्मचारी नेताओं ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को कर्मचारी विरोधी बताया।
उनका आरोप था कि आयोग की प्रस्तुत रिपोर्ट में निम्न वेतनभोगी कर्मचारियों की उपेक्षा की गई जबकि उच्चतर वेतनभोगी अधिकारियों को लाभ पहुंचाया गया। इसी अहितकारी सिफारिशों के खिलाफ उन लोगों ने शुक्रवार को काला-दिवस के रूप में मनाया।
कर्मचारी संगठनों ने कहा कि 8 दिसंबर को नई दिल्ली में नेशनल ज्वाइन्ट कॉउन्सिल ऑफ एक्शन की बैठक के उपरांत आंदोलन को और तेजी से एकजुटता के साथ चलाया जाएगा।
डाक विभाग के कर्मचारियों ने राजधानी के जीपीओ स्थित ऑफिस पर प्रदर्शन किया। वहीं, लोक निर्माण विभाग के डिप्लोमा इंजीनियर्स ने संघ भवन में संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक आरके पांडेय की अध्यक्षता में प्रदर्शन किया।
इस प्रदर्शन का नेतृत्व समिति के सहसंयोजक कामरेड जेपी सिंह, वीरेंद्र तिवारी, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी, शिवबरन यादव, अतुल मिश्रा, अविनाश श्रीवास्तव, सतीश पांडेय, संजीव गुप्ता, राजेश साहू, दिवाकर राय, यदुवीर सिंह, अमरनाथ यादव, रामराज दुबे आदि प्रमुख कर्मचारी नेताओं ने किया। देखें वीडियो