वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और लीलावती अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। वे किसी कार्यक्रम के सिलसिले में नागपुर गए थे लेकिन स्वास्थ्य कारणों के चलते इसमें शामिल नहीं हो पाए थे। उन्होंने 1970 के दशक में चोर मचाए शोर, गीत गाता चल, चितचोर और अंखियों के झरोखे जैसी सुपरहिट फिल्मों को अपनी सुरीली धुनों से सजाया था।
उन्हें राज कपूर ने पहला बड़ा ब्रेक दिया था और उनके लिए राम तेरी गंगा मैली, दो जासूस और हीना जैसे फिल्मों में संगीत दिया था। 1980 और 1990 के दशक में जैन ने कई पौराणिक फिल्मों और धारावाहिकों में संगीत दिया था। दिलचस्प बात है कि रवीन्द्र जैन नेत्रहीन थे इसके बावजूद उन्होंने एक से बढ़कर सुरीले नगमें दिए जो आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है।
काम के दीवाने
जैन का जन्म 1944 में हुआ था और वे सात भाई-बहिन थे। कम उम्र में ही वे पास के जैन मंदिर में भजन गाने लग गए थे। 1972 में उन्होंने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरूआत की। दक्षिणी भारत के गायक येसुदास के वे काफी मुरीद थे और एक बार उन्होंने कहा था कि अगर मैं देख पाऊं तो सबसे पहले येसुदास का चेहरा ही देखूंगा। इसके अलावा फिल्म सौदागर की रिकॉर्डिग के दौरान रवीन्द्र जैन के पिता का निधन हो गया था। उन्हें इस बारे में बताया गया लेकिन वे काम पूरा करने के बाद ही घर गए।
जैन का जन्म 1944 में हुआ था और वे सात भाई-बहिन थे। कम उम्र में ही वे पास के जैन मंदिर में भजन गाने लग गए थे। 1972 में उन्होंने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरूआत की। दक्षिणी भारत के गायक येसुदास के वे काफी मुरीद थे और एक बार उन्होंने कहा था कि अगर मैं देख पाऊं तो सबसे पहले येसुदास का चेहरा ही देखूंगा। इसके अलावा फिल्म सौदागर की रिकॉर्डिग के दौरान रवीन्द्र जैन के पिता का निधन हो गया था। उन्हें इस बारे में बताया गया लेकिन वे काम पूरा करने के बाद ही घर गए।
अब आप पा सकते हैं अपनी सिटी की हर खबर ईमेल पर भी – यहाँ क्लिक करें