ब्रुसेल्स। शीत युद्ध के बाद पहली बार रूस की सीमा पर सैनिकों का सबसे बड़ा जमवाड़ा होने जा रहा है। ब्रसेल्स में नाटो के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई है। इसमें फैसला लिया गया है कि ब्रिटेन अगले साल रोमानिया में लड़ाकू जेट और अमरीका पोलैंड में सैन्य टुकड़ी और टैंक भेजेगा। नाटो (नार्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) से जुड़े जर्मनी व कनाडा सहित अन्य देश इसमें सहयोग देंगे। वहीं, रूस क्रूज मिसाइल से लैस अपने दो युद्धपोत बाल्टिक सागर में भेज चुका है। ऐसे में शीत युद्ध के बाद रूस की सीमा पर पश्चिमी देशों का ये सबसे बड़ा जमावड़ाम माना जा रहा है। स्पेन के विदेश मंत्रालय के अनुसार, रूस ने स्पेन के उत्तरी अफ्रीकन एनक्लेव में स्थित अपने तीन युद्धपोतों में ईंधन भरने का अनुरोध नाटो की आपत्ति के बाद वापस ले लिया है। नाटो का कहना था कि इन युद्धपोतों से सीरिया के नागरिक इलाकों को भी निशाना बनाया जा सकता है। रूस इन युद्धपोतों को भी सीरिया तट के निकट तैनात अपने 10 युद्धपोतों के पास भेजना चाहता था। 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया का अधिग्रहण किया था। उसी वक्त से नाटो सोवियत रूस के सदस्य रहे यूरोपीय देशों से उसे दूर रखने के लिए मुस्तैद है। नाटो के चार सैन्य मोर्चों का नेतृत्व अमरीका, जर्मनी, ब्रिटेन और कनाडा करेंगे। नाटो के अन्य सदस्य देश इसमें सहाया करेंगे। पोलैंड के साथ ही नीदरलैंड, बेल्जियम, क्रोएशिया व नार्वे में नाटो के सैन्य बल तैनात किए जाएंगे।