उ. अफ्रीका में IS का उभार कैमरन की गलत नीतियों की देनः ब्रिटिश समिति
Published: Sep 15, 2016 03:09:00 pm
2011 में लीबिया में हुए विद्रोह के बाद वहां के नेता मोहम्मद कज्जाफी को सत्ता से हटाया गया था
लंदन। ब्रिटिश संसद की एक समिति ने उत्तरी अफ्रीका में इस्लामिक स्टेट (आइएस) के पनपने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की अवसरवादी नीतियों को जिम्मेदार बताते हुए उनकी आलोचना की। हाउस ऑफ कॉमंस की विदेश मामलों की समिति के सांसदों ने 2011 में लीबिया में ब्रिटेन और फ्रांस के हस्तक्षेप निंदा करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से अवसरवादी रणनीति थी। उस नीति में कज्जाफी के बाद की लीबिया का समर्थन करने और उसे बनाने की कोई रणनीति नहीं थी।
गौरतलब है कि 2011 में लीबिया में हुए विद्रोह के बाद वहां के नेता मोहम्मद कज्जाफी को सत्ता से हटाया गया था। कज्जाफी द्वारा और हिंसा किए जाने की आशंका में पश्चिमी ताकतों ने कार्रवाई की, लेकिन उसके बाद से देश में हजारों लोग मारे गए हैं और अशांति अभी तक जारी है। साथ ही देश में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की घुसपैठ भी बहुत बढ़ गई।
संसदीय समिति ने कैमरन पर कज्जाफी को हटाए जाने के बाद देश के लिए बिना किसी सुसंगत नीति के सत्ता परिवर्तन का समर्थन करने का आरोप लगाया है। समिति ने अपनी 49 पेज की रिपोर्ट में कहा है-‘इसका नतीजा यह हुआ कि राजनीति और अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई, मिलिशिया और आदिवासी कबीलों के बीच युद्ध शुरू हो गया। मानवीय और शरणार्थी संकट, बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन, कज्जाफी की सत्ता के हथियार पूरे देश क्षेत्र में फैल गए और उत्तर अफ्रीका में आइएस पनप गया।’
विदेश मामलों की समिति की इस रिपोर्ट में कहा गया है-‘अपने फैसले से डेविड कैमरन सुसंगत लीबिया रणनीति बना पाने में नाकाम रहे।’ समिति से पहले ओबामा ने भी कहा था कि ब्रिटेन और फ्रांस ने संघर्ष के बाद लीबिया में ‘पर्याप्त काम’ नहीं किया है। कज्जाफी को सत्ता से हटाए जाने के बाद लीबिया हिंसा में फंस गया। प्रतिद्वंद्वी सरकारें, सैकड़ों की संख्या में मिलिशिया, और इस्लामिक स्टेट ने वहां पर मजबूत जगह बना ली।