पीडितों की उम्र 74 से 100 साल तक बताई गई है। उनमें से अधिकांश की याददाश्त कमजोर है और वे चलने-फिरने के लिए दूसरों के मोहताज हैं।
अदालत के अनुसार, दोषी को 12 साल की कैद होनी चाहिए थी, लेकिन इस मामले में कोई प्रत्यक्षदर्शी या पीडित कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं था। आरोपी ने जांच में पूरा सहयोग किया, इसलिए उसे सिर्फ नौ साल के कारावास की सजा सुनाई गई है।
अदालत ने दोषी को पीडितों को मुआवजे के तौर पर 18,000 यूरो (20,110 डॉलर अदा) करने का भी निर्देश दिया है।
फिनलैंड के नेशनल सुपरवाइजरी अथॉरिटी ऑफ वेलफेयर एंड हेल्थ वेलवीर की इकाई निदेशक हेलेना मोंटिनेन ने समाचारपत्र को बताया कि इस वक्त यह कहना मुश्किल है कि बुजुर्गो की देखरेख के इंतजाम कड़े होने चाहिए या उनमें बदलाव होना चाहिए।