बर्लिन. जर्मनी की सुप्रीम कोर्ट ने अतिदक्षिणपंथी पार्टी एनपीडी पर प्रतिबंध लगाने की मांग को खारिज कर दिया है। संवैधानिक कोर्ट ने इस नवनाजी और नस्लभेदी नेशनल डेमोक्रैटिक पार्टी (एनपीडी) को लोकतंत्र की ताकत के सामने बहुत मामूली बताया। केंद्रीय संवैधानिक कोर्ट के प्रमुख जज आंद्रेयास फोसकूले मामले की सुनवाई के बाद इस पार्टी पर यह कहते हुए बैन लगाने से इनकार कर दिया कि एनपीडी संविधान विरोधी लक्ष्य रखती है, लेकिन फिलहाल उसके खिलाफ ऐसा करने में सफल हो पाने के कोई ठोस सबूत नहीं हैं।
देशभर में 6,000 हैं एनपीडी के पसदस्य
जर्मनी में इस समय एनपीडी के करीब 6,000 सदस्य हैं और उसे बैन करवाने का यह दूसरा असफल प्रयास है। इस बार यह प्रयास संसद के ऊपरी सदन बुंडेसराट की ओर से किया गया था। गौरतलब है कि जर्मनी के इस सदन में सभी 16 राज्यों का प्रतिनिधित्व है। चांसलर एंजेला मर्केल की सरकार भी इस प्रस्ताव के पक्ष में थी, हालांकि सरकार प्रत्यक्ष रूप से इस कानूनी प्रक्रिया दूर ही रही।
1964 में हुई थी पार्टी की स्थापना
1964 में शुरु हुई नवनाजी पार्टी ने सीधे तौर पर जर्मनी केवल जर्मनों के लिएÓ के फॉर्मूले पर अपना कामकाज शुरु किया। वर्ष 2011 में इसने अपना नाम बदल कर नेशनल डेमोक्रैटिक पार्टी कर लिया। यह पार्टी इतनी अतिवादी है कि इसके सदस्यों के कई हत्याओं के लिए भी जिम्मेदार होने का पता चला। इसी कारण बुंडेसराट ने साल 2013 से ही इस अतिदक्षिणपंथी गुट का विरोध कर इनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी थी। धीरे धीरे यूरोपीय संसद से इस दल के कई सदस्य बहाल हो गए। हालांकि, अब केवल एक व्यक्ति ही बचा है।
अदालत के फैसले से बढ़ी चिंता
अदालत ने भले ही इस पार्टी पर अभी बैन लगाने से इनकार कर दिया है। लेकिन, विशेषज्ञ इस पार्टी की विचारधारा को लेकर चिंतित दिखआई दे रहे हैं। इंटरनेशनल आउषवित्ज कमेटी के उपाध्यक्ष क्रिस्टोफ हॉएब्नर ने इस फैसले पर चिंता जताते हुए इस पार्टी पर यूरोप भर में नफरत फैलने का आरोप लगाया है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा है कि जो लोग होलोकॉस्ट का जश्न मनाते हों और कई इलाकों में आज भी नफरत फैला रहे हों, उन्हें कैसे लोकतंत्र में हिस्सा लेने दिया जा सकता है।
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