यूएन. युद्धग्रस्त सीरिया में 10 लाख से ज्यादा लोग आंतक और भूख की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। इस क्षेत्र में आईएस और रूसी समर्थित सरकारी सेनाओं की घेरेबंदी से भय और भूख की स्थिति बनी हुई है। यहां के हालात पहले से ज्यादा बिगड़ गए हैं।
9,74,080 तक पहुंची शरणार्थियों की संख्या
यूएन एड चीफ ने ताजा आंकड़े जारी कर बताया है कि सीरिया में करीब 9,74,080 लोग घेरेबंदी में जीने को मजबूर हैं। जबकि छह महीने पहले ऐसे लोगों की संख्या 4,86,700 तक सीमित थ। शरणार्थियों की संख्या में तेजी से बढ़तरी जारी है। यहां पर लोग अलगाव, भूख, बमबारी, चिकित्सा सुविधाओं के अभावों से जूझ रहे हैं। यहां की अमानवीय स्थिति को देखते हुए यूएन दल से जुड़े लोग भी कहने लगे हैं कि आप स्थितियों से समझौता कर लें या फिर कहीं और चले जाएं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग पूर्वी घौटा के डमाकस ग्रामीण क्षेत्र स्थित यूएन राहत शिविर में रहने को विवश हैं।
यूएन ने की शांति की अपील
यूएन ह्यूमन अफेयर्स के अंडर सिक्रेटरी स्टीफन ओ बियन ने फिर से सभी पक्षों से अपील की है कि इस क्षेत्र में भयानक मानवीय त्रासदी को देखते हुए युद्ध के बदले शांतिपूर्ण के रास्ते से विवादों का समाधान करें। कुछ दिनों पहले यूएन काउंसिल की बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि युद्धग्रस्त अलेप्पो शहर में विरोधी गुटों के प्रभाव वाले क्षेत्र में सीरियन सरकार और रूस द्वारा बमबारी जारी है। जबकि लोग वहां खाद्य पदार्थों के अभाव में भुखमरी के कगार पर हैं।
आईएस की रणनीति विफल
फ्रांस के राजदूत फ्रांकोइस डिलैटरे का कहना है कि वहां कि स्थिति बहुत ही भयानक और त्रासदीपूर्ण है। उहोंने कहा कि सीरिया में आईएस की रणनीति विफल हो गई है। आतंकी गतिविधियों में शामिल होने से लोग बचने लगे हैं, जिससे आईएस के मंसूबों पर पानी फिर गया है। जबकि डमाकस गवर्नमेंट का कहना है कि लोगों को इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए
आईएस आतंकियों से मुकाबला कर रहे हैं। ताकि उन्हें अलेप्पो से बाहर खदेड़ा जा सके। ब्रिटिश राजदूत मैथ्यू राईक्रॉफ्ट ने कहा कि रूस समर्थित सीरियन सरकार की बमबारी का तरीका पूरी तरह से असभ्य है और इस पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है।
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