लंदन। जहां नेपाल का मैदानी इलाका विनाशकारी भूकंप से मची तबाही की चीखें सुना रहा था, वहीं पर्वतीय इलाके से मौत को मात देती जिंदगी की आवाज आई। 7.9 की तीव्रता वाले भूकंप से दुनिया की सबसे बड़ी चोटी माउंट एवरेस्ट के दो बेस कैंप तबाह हो गए। करीब 22 पर्वतारोही मारे गए, 217 से ज्यादा लापता हैं। इन्हीं बेस कैंप के ऊपर 16000 फीट की ऊंचाई पर ब्रिटिश दंपती एलेक्स चेपेट और उनके पति सैम हिमस्खलन के बीच बच गए। उन्होंने टि्वटर पर खुद के जिंदा होने की जानकारी दी।
पीछे मौत थी और आगे जिंदगी एलेक्स ने बताया कि हम लोग बेस कैंप से आगे निकल चुके थे। तभी ऎसा लगा मानो धरती जैली की तरह हिल रही हो। हमें भूकंप का अंदाजा नहीं था, पर थोड़ी ही देर में एवरेस्ट की ओर से कार के आकार के बड़े-बड़े बर्फ के पत्थर नीचे आने लगे। भूकंप का झटका इ तना तेज का था कि हम स्थिर नहीं हो पा रहे थे। हम समझ गए कि सामने से मौत आ रही है। हिमस्खलन के बाद पहाड़ से जब बर्फ हमारी ओर बढ़ी तो हम अपने टैंट की ओर भागे। हमारे आगे जिंदगी थी तो पीछे मौत।
हम बुरी तरह डर गए थे और बचने के लिए तेज
भागे। टैंट में पहुंचकर हमने खुद को इस तरह बचाया, ताकि बर्फ में हम दब भी जाएं तो
भी सांस लेने की जगह बनी रहे। करीब 30 मिनट तक तबाही हमारे ऊपर से गुजरती रही। जब
सन्नाटा हुआ, तब तक हम एक-एक मीटर बर्फ में दब चुके थे, पर अंतत: हम बच गए।