लंदन. दुनिया का सबसे मशहूर और विशाल जहाज टाइटैनिक हिमखंड पर टकराने की वजह से नहीं डूबा था। जहाज के बॉयलर कक्षा में आग लगने की वजह से वो दुर्घटना का शिकार हुआ था। इस वजह से वो डूब गया था। एक नई डॉक्युमेंट्री में इस बाबत दावा किया गया।
आइरिश पत्रकार सेनन मोलॉनी ने पेश किए तथ्य
इस डॉक्युमेंट्री का नाम टाइटैनिक द न्यू एविडेंस है। इसके तथ्यों की वजह से दुनियाभर में टाइटैनिक को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ गई है। हर कोई हैरान है। बहरहाल, डाक्युमेंट्री में दावा लोकप्रिय आइरिश पत्रकार और लेखक सेनन मोलॉनी ने किया है। उनके अनुसार, बॉयलर कक्ष के कोयला बंकर में आग के सुलगते रहने के कारण टाइटैनिक जहाज की पेंदी पूरी तरह से कमजोर हो गई थी। आग बढ़ती चली गई थी। दरअसल, साउथैम्पटन की ओर जाने से पहले की टाइटैनिक की तस्वीरों में जहाज की पेंदी पर काले धब्बे हैं। ऐसे में उनका दावा सही माना जा रहा है। ज्ञात हो कि साल 1912 में हुए इस हादसे में 1500 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
30 साल शोध किया
मोलॉनी ने 30 साल तक इस हादसे पर शोध किया है। मोलॉनी का दावा है कि टाइटैनिक का निर्माण करने वाली कंपनी के अध्यक्ष जे ब्रुस इस्माय को जहाज पर कुछ लाइफबोट रखने के लिए कायर कहा गया था। उन्हें आग के बारे में पता था लेकिन बाद में उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया। मोलॉनी की इस डॉक्युमेंट्री का प्रसारण चैनल 4 पर किया जाएगा। उनके हवाले से कहा गया कि आधिकारिक टाइटैनिक जांच में जहाज के डूबने को दैवीय कृत बताया गया था लेकिन यह सिर्फ हिमखंड से टकराकर डूबने की कहानी नहीं है बल्कि इसमें आग, बर्फ और आपराधिक लापरवाही जैसे कारण भी शामिल हैं।
आग न लगती तो बच जाता जहाज
उन्होंने कहा कि जहाज की पेंदी में आग नहीं लगती तो जहाज हिमखंड झेल सकता था। कमजोर पडऩे के कारण वो झेल नहीं पाया। इस बीच यूरोपीय मीडिया की कई रिपोर्ट्स में भी उनके दावे पर मुहर लगाई जा रही है। लोगों में इसके प्रसारण को लेकर उत्साह है। हर कोई प्रोग्राम देखने को लेकर सोशल मीडिया पर बता रहा है।