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आतंकवाद को पनाह देने वालों पर हो कार्रवाई : PM मोदी

Published: Apr 14, 2015 09:28:00 pm

अपनी जर्मनी की यात्रा के अंतिम दिन मंगलवार को PM नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर ही उस पर हमला बोला

बर्लिन। अपनी जर्मनी की यात्रा के अंतिम दिन मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर ही उस पर हमला बोला। मोदी ने कहा कि आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए खतरा है और जो देश आतंकवाद का समर्थन करते हैं उन पर कार्रवाई कर उन्हें अलग-थलग करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने यहां जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के साथ द्विपक्षीय बातचीत के बाद साझा बयान जारी किया। उन्होंने मेक इन इंडिया, व्यापार, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए अपील की और आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों को लताड़ा।

तीन समझौते
मोदी-मर्केल की मुलाकात में दोनों देशों के बीच तीन समझौते हुए। जर्मनी अंतरिक्ष, स्मार्टसिटी और मेक इन इंडिया मिशन में भारत की मदद करेगा। साथ ही आतंकवाद के खिलाफ दोनों देश मिलकर लड़ेंगे।

जर्मनी से हम सीखेंगे
साझा बयान में मोदी ने कहा कि जर्मनी से भारत काफी कुछ सीख सकता है। जैसे- स्किल्ड डेवलपमेंट, अक्षय ऊर्जा और तकनीक। उन्होंने कहा कि आज भारत ऎसा मुल्क है, जिसने कभी युद्ध नहीं लड़ा हो, जहां महात्मा बुद्ध और महात्मा गा ंधी जैसे महापुरूष जन्मे हों और शांति जिसके डीएनए में हो, वो देश आज यूएन सुरक्षा परिषद की सदस्यता से वंचित है। बहुत हुआ मांगना हम यूएन से अपने साथ न्याय की मांग करते हैं। इसके अलावा मोदी ने इस अक्टूबर में मर्केल को भारत आने का न्योता भी दिया।

जलवायु परिवर्तन पर एजेंडा तय करेगा भारत
बर्लिन में भारतीय समुदाय ने मोदी का स्वागत समारोह रखा। इसमें मोदी ने कहा-भारत सितंबर में फ्रांस में होने वाले जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का एजेंडा तय करेगा। मुझे हैरानी है कि हमारा प्रति व्यक्ति गैस उत्सर्जन सबसे कम होने के बावजूद विकसित देश हमें डांट रहे हैं। भारतीयों की संस्कृति और परंपरा में सदियों से प्रकृति के संरक्षण की सोच रही है और वे कई युगों से ऎसा करते आए हैं। ग्लोबल वार्मिग के कारण पैदा होने वाले संकट का समाधान भारत की परंपराओं और परिपाटियों में है।

भाषा के कारण नहीं डिगेगी धर्मनिरपेक्षता
भारत के सरकारी स्कूलों में जर्मन भाषा की जगह संस्कृत को लाए जाने पर उठे विवाद की पृष्ठभूमि में मोदी ने कहा, देश की धर्मनिरपेक्षता इतनी कमजोर नहीं है कि यह एक भाषा से हिल जाए। दशकों पहले जर्मन रेडियो पर संस्कृत में समाचार पढ़े जाते थे। भारत में तब संस्कृत में समाचार नहीं पढ़े जाते थे। शायद सोचा जाता था कि इससे धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ जाएगी। पर देश की धर्मनिरपेक्षता को इतना कमजोर न समझा जाए। आत्मविश्वास होना चाहिए। वह नहीं डिगना चाहिए।
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