भारतीय मूल के बैंकर जितेश गढिय़ा ने ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉड्र्स में सबसे कम उम्र के ब्रिटिश सांसद के रूप में शपथ ली
नई दिल्ली। भारतीय मूल के बैंकर जितेश गढिय़ा ने ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉड्र्स में सबसे कम उम्र के ब्रिटिश सांसद के रूप में शपथ ली। प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के करीबी माने जाने वाले जितेश ने इस दौरान एक और इतिहास रच दिया। उन्होंने प्राचीन वैदिक ग्रंथ ऋग्वेद पर हाथ रखकर शपथ ली। बता दें कि ब्रिटिश संसद के अपर हाउस में भारतीय मूल के लगभग 20 सांसद हैं।
इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं ऐसे समय संसद में शामिल हो रहा हूं, जब ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन अपने इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। मैं ब्रिटेन के फाइनेंशल सर्विसेज सेक्टर के लिए भविष्य में बेहतर संभावनाएं सुनिश्चित करने में मदद करना चाहता हूं। मेरा फोकस भारत और ब्रिटेन सहित हमारे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध मजबूत करने में योगदान देने पर भी होगा। मैं संसद और सांसदों को ब्रिटिश भारतीयों के साथ भी जोडऩे की कोशिश करूंगा।
गुजरात से संबंध रखने वाले गढिय़ा 1972 में दो वर्ष की आयु में उस समय ब्रिटेन आए थे, जब युगांडा से लगभग 50,000 एशियाई लोगों को निकाला गया था। बता दें कि गढिय़ा एबीन और बारक्लेज जैसी यूरोप की बड़ी फाइनेंशल कंपनियों के साथ काम कर चुके हैं। वह टाटा स्टील की ब्रिटेन की कोरस को खरीदने की डील में भी भूमिका निभा चुके हैं। इसके साथ ही वे ब्रिटेन और भारत के बीच कुछ बड़ी इन्वेस्टमेंट डील्स में शामिल रहे हैं। पिछले वर्ष नवंबर में लंदन के वेंबले स्टेडियम में मोदी के भाषण को गढिय़ा ने ही लिखा था। ऋग्वेद को दुनिया का सबसे प्राचीन धार्मिक ग्रंथ माना जाता है, जो अभी भी उपयोग किया जाता है। इसका इतिहास 1500 बीसी से शुरू होता है।