केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाने को लेकर जहां छात्र विरोध में हैं, वहीं विवि. प्रशासन मोदी को बुलाने पर अड़ा है।
जामिया मीडिया संयोजक डॉ. मुकेश रंजन ने उन्होंने कहा किमोदी को प्रधानमंत्री के रूप में आमंत्रित किया गया है तथा विश्वविद्यालय अपने शुरूआती दिनों से ही दीक्षांत समारोह में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों को आमंत्रित करती रही है।
जहां तक छात्रों के विरोध का सवाल है तो विश्वविद्यालय को इस तरह का लिखित रूप में कोई पत्र नहीं मिला है। मीडिया में आई खबरों से इसकी जानकारी मिली है।
गौरतलब है कि वर्ष 2008 में बटला हाउस मुठभेड़ के बाद मोदी की ओर से संस्थान के संबंध में दिए गए बयान को देखते हुए उन्हें दीक्षांत समारोह में नहीं बुलाने की मांग की जा रही है। रंजन ने कहा कि मोदी जनता के चुने हुए प्रधानमंत्री हैं इसलिए यहां के समारोह में उन्हें बुलाने में कोई दिक्कत नहीं है।
जामिया के पूर्व छात्रों असद अशरफ और महताब आलम समेत करीब 80 अन्य पूर्व छात्रों ने हस्ताक्षरित एक पत्र में मोदी को विश्वविद्यालय में आमंत्रित करने के फैसले पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कुलपति को भेजा है। उन्होंने कहा कि मोदी तथा उनकी पार्टी विश्वविद्यालय को लेकर लगातार अफवाहें तथा नफरत फैलाते हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में जब बटला हाउस इलाके में आतंकवादियों का एनकाउंटर हुआ था। उस वक्त इसी सिलसिले में विश्वविद्यालय के दो छात्रों को भी गिरफ्तार किया गया था। उस समय के कुलपति रहे प्रो. मुशीरुल हसन ने गिरफ्तार किए गए दोनों छात्रों को विश्वविद्यालय की ओर से कानूनी मदद दिलाने की बात कही थी।
कुलपति के इस बयान पर बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी ने कहा था कि सरकारी धन से चलने वाली विश्वविद्यालय में आतंकवादियों को जेल से बाहर लाने के लिए कानूनी मदद देने की बात कर रही है, यह डूब मरने जैसा है, वोट बैंक की यह राजनीति कब तक चलेगी।