भगवान राम और उनके मंदिर के लिए संघर्ष करते हुए इस दुनिया से विदा हो गए थे शलाका पुरुष परमहंस रामचंद्र किसी जमाने में अपनी एक आवाज पर केंद्र और प्रदेश की सरकारों को हिला देने वाले राममंदिर आंदोलन के प्रणेता शलाका पुरुष परमहंस रामचंद्र दास को बीजेपी पूरी तरह से भुला चुकी है अगर ऐसा ना होता तो जिन परमहंस रामचंद्र दास को आज भी अयोध्या के कारसेवकपुरम परिसर में होने वाली जनसभा कार्यक्रम में मंच पर लगे होर्डिंग में जहां दी गई उन्ही परमहंस रामचंद्र की समाधि स्थल के पास जाकर भी बीजेपी के नेताओं ने उनके प्रति कोई आस्था नहीं दिखाई और परमहंस रामचंद्र दास के समाधि स्थल पर ताला लगा रहा ।
यही है परमहंस रामचंद्र दास का समाधि स्थल यह बताना भी जरूरी नहीं समझा बीजेपी के नेताओं ने केंद्रीय मंत्री को अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत राम नगरी अयोध्या पहुंचे केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने अयोध्या पहुंचकर सबसे पहले श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास से मुलाकात की और उनसे आशीर्वाद लिया लेकिन यह चौंकाने वाली बात रही कि महंत नृत्य गोपालदास से पहले राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे परमहंस रामचंद्र दास के समाधि स्थल पर जाकर भी न ही केंद्रीय मंत्री और न ही स्थानीय स्तर के किसी नेता ने उनके प्रति कोई आस्था और श्रद्धा दिखाई । भले ही केंद्रीय मंत्री को शायद इस बात का अंदाजा ना हो कि जिस भवन के सामने वह खड़े हैं वह शलाका पुरुष परमहंस रामचंद्र दास का समाधि स्थल है लेकिन फैजाबाद के सांसद और पुराने बजरंगी रहे लल्लू सिंह को तो इस बात का बखूबी अहसास था यह समाधि स्थल उसी शख्स का है जिसने आजीवन भगवान राम के नाम पर संघर्ष किया और राम का नाम लेकर इस दुनिया से विदा हो गए लेकिन आज उनके जाने के बाद उनका नाम लेने वाला भी शायद कोई नहीं बचा है ।