पतंगबाजी के शौक को अपने जिंदगी से जोड़ने वाले निजामुद्दीन को महज एक पेंच कटने का इतना रंज हुआ कि हवाई पट्टी पर ही दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया
अनूप कुमार
फ़ैजाबाद । मकर संक्रांति के धार्मिक पर्व को जहां देश के विभिन्न इलाकों में अलग अलग नामों से मनाया जाता है वही उत्तर भारत में गंवई भाषा में इस पर्व को खिचड़ी के रूप में भी जाना जाता है ।आज के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा रही है जाहिर तौर पर अगर खिचड़ी की बात हो और आसमान में पतंगें ना हो तो खिचड़ी बे मजा नजर आती है लेकिन जहां कुछ लोग खिचड़ी के मौके पर महज़ परंपरा के रुप में पतंगें उड़ाते हैं वहीं कुछ लोगों ने पतंग उड़ाने के अपने शौक को अपनी जिंदगी से जोड़ लिया है । ऐसी एक दर्दनाक कहानी से हम आज आपको रुबरु करा रहे हैं जिसमें पतंगबाजी के शौक ने एक पतंगबाज की जान ही ले ली ।
हवाई पट्टी पर उड़ा रहे थे पतंग और निकल गई जान
यह दर्दनाक वाकया है साल 2002 का जब फ़ैजाबाद शहर के बछड़ा सुल्तानपुर के रहने वाले मशहूर पतंगबाज निजामुद्दीन पतंगबाजी करने फैजाबाद के हवाई पट्टी गए थे । पेंच पर पेंच लड़ाये जा रहे थे इसी बीच अचानक लोगों के शोर के बीच निजामुद्दीन हवा में अपनी पतंग को दूसरी पतंग से लड़ा रहे थे अचानक निजामुद्दीन की पतंग कट गई ।उधर पतंग की डोर कटी और इधर निजामुद्दीन की सांसे थम गई । पतंगबाजी के शौक को अपने जिंदगी से जोड़ने वाले निजामुद्दीन को महज एक पेंच कटने का इतना रंज हुआ कि हवाई पट्टी पर ही दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया । 60 साल की उम्र में निजामुद्दीन इस दुनिया से तो चले गए लेकिन आज भी जिले के पतंगबाजों में उनका नाम मशहूर है । निजामुद्दीन के परिवार के लोग बताते हैं कि उन्होंने प्रदेश में कई जगहों पर पतंगबाजी की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था और जिले की मशहूर पतंगबाजों में उनका जिक्र होता रहा है ।
अयोध्या फैजाबाद जुड़वा शहरों में लोगों के बीच बेहद चर्चित है पतंगबाजी
वैसे तो पतंगबाजी का फन लखनऊ के नवाबों के बीच मशहूर रहा है लेकिन कभी फैजाबाद भी नवाबों का शहर कहा जाता रहा है । अवध की राजधानी के रूप में जाना जाने वाला यह शहर पतंगबाजी और पतंगबाजों के लिए भी मशहूर रहा है हालांकि बदलते परिवेश में आज पतंगबाजी शबाब पर नहीं है जिस तरह कभी होती थी ।लेकिन अयोध्या काइट क्लब के सदस्य इस परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं । क्लब के कप्तान के रूप में सुरेश चतुर्वेदी और उनके साथी साबिर और इकबाल सहित क्लब के और सदस्य पतंगबाजी के हुनर को लोगों के बीच जीवंती किए हुए हैं । टीम के सदस्य प्रदेश के कानपुर जौनपुर बहराइच लखनऊ बाराबंकी सुल्तानपुर बनारस सहित कोलकाता तक पतंग की पेंच लड़ाने जा चुके हैं । लेकिन कहीं ना कहीं पतंगबाजी के शौक पर भी महंगाई की मार पड़ रही है किसी जमाने में एक आने दो आने से शुरु होकर पतंग की एक पेंच आज 20 से 40 रुपए कीमत में पड़ रही है और अब पतंगबाज़ी का ये शौक महज़ एक रस्म बनकर रह गया है ।