पत्थर दिल लेखपाल को इन लाचारों पर भी तरस नहीं आया और उन्हें उनकी 60 हजार सालाना का आय प्रमाणित कर दी। इस रिपोर्ट पर मिले आय प्रमाणपत्र ने इन दिव्यांगों की सरकारी इमदाद के सारे रास्ते बंद कर दिए।
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फर्रुखाबाद. अंधेरगर्दी और मनमानी की सबसे गन्दी तस्वीर पेश की है फर्रुखाबाद की कायमगंज तहसील के लेखपाल ने।. लाचार और बेवश इंसानों को सताने से तो शायद कुदरत भी मना करती है। पर कयामगंज तहसील का एक लेखपाल उन दिव्यांगों के साथ भी खेल करने से बाज नहीं आया जो चल-फिर नहीं सकते। यहां तक कि न अपनी बात कह सकते और न दूसरे की सुन सकते। इस पत्थर दिल लेखपाल को इन लाचारों पर भी तरस नहीं आया और उन्हें उनकी 60 हजार सालाना का आय प्रमाणित कर दी। इस रिपोर्ट पर मिले आय प्रमाणपत्र ने इन दिव्यांगों की सरकारी इमदाद के सारे रास्ते बंद कर दिए।
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लेखपालों के कारनामे
पिछले दिनों भ्रष्ट लेखपालों को सुधारने के लिए जिलाधिकारी ने लेखपालों को पहले से जेल की सजा काट रहे सरकारी कर्मचारियों से रूबरू कराया था। उस समय उनके इस प्रयोग की आलोचना हुई थी, पर लेखपालों के कारनामे सुनेंगे तो दंग रह जायेंगे। अधिकांश सरकारी योजनाओं में पात्रता आय प्रमाणपत्र से तय होती है और आय प्रमाणपत्र में लिखी जाने वाली आय लेखपाल की रिपोर्ट से तय होती है। लेखपाल सफेद को स्याह करने से हमेशा बाज नहीं आते और इसीलिए वे और अधिक से और अधिक शातिर और जालसाज हो जाते हैं।
ताजा मामला नवाबगंज ब्लाक के गनीपुर जोगपुर मोहल्ले का है। यहां रहता है एक मजबूर बाप इन्द्रपाल शर्मा जिसके दो बेटे हैं। अजय और कुलदीप तथा एक बेटी पूजा। बचपन से ही दिव्यांगता ने उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया। तीनों बच्चे अब बालिग हो गए हैं, पर उन्हें न बचपन का होश है और न जवानी का एहसास। वे चलने-फिरने, उठने- बैठने और बोलने- समझने को मजबूर हैं. इन्द्रपाल कैसे इन बच्चों को पाल कर बढ़ा कर रहा यह वही जानता है। इन्द्रपाल ने यह जरूर कोशिश की कि उन्हें दिव्यांगों को मिलने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ मिल जाए। इसके लिए इन्द्रपाल ने अपनी आय का प्रमाणपत्र बनवाया तो तहसीलदार कायमगंज ने 36 हजार सालाना का आय प्रमाणपत्र जारी किया।
सरकारी योजनाओं के लिए आवेदन करना चाहा तो बताया गया कि लाभार्थी का आय प्रमाणपत्र लगाना होगा। इस पर इंद्र पाल ने अपने तीनों बच्चों अजय, कुलदीप और पूजा के आय प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया। जब इन्द्रपाल लेखपाल सोवरन को खुश न कर सका तो उसने दिव्यांग बच्चों की आय 60 हजार रुपये सालाना प्रमाणित कर दी। तहसीलदार कायमगंज ने अजय और कुलदीप के 60 हजार रुपये सालाना के आय प्रमाणपत्र जारी कर दिए। जबकि पूजा का आवेदन पत्र ही रद्द कर दिया। मतलब साफ था कि इन्द्रपाल की सालाना आय 36 हजार और उसके ही दिव्यांग बच्चों की 60 हजार। इस आय प्रमाणपत्र के मिलने के बाद इन दिव्यांगों को मिलने वाली सारी योजनाओं के रास्ते बंद हो गए. इन्द्रपाल ने बताया कि लेखपाल की कारगुजारी से वह बेहद निराश हैं।
यह उन बेबस और लाचार परिवार का घर है। जिसके तीन बच्चे दिव्यांग हैं। हद तो अंधेरगर्दी की है कि इन बच्चों के नाम से 60- 60 हजार के आय प्रमाणपत्र जारी कर दिए गए हैं। आय प्रमाणपत्र में आय का श्रोत छात्र होना लिखा है। जबकि तीनों बच्चों ने विकलांगता के कारण आज तक स्कूल का मुंह नहीं देखा।