फर्रुखाबाद जिले को बनारस के बाद अपरा काशी कहा जाता था क्योंकि इस जिले का इतिहास हजारों वर्ष पुराना माना जाता है।
फर्रुखाबाद। फर्रुखाबाद जिले को बनारस के बाद अपरा काशी कहा जाता था क्योंकि इस जिले का इतिहास हजारों वर्ष पुराना माना जाता है। गंगा घाट से लेकर यहां के रहने वालों के घरों तक भगवान शिव सहित सैकड़ों मंदिर हुआ करते थे, लेकिन आज भी शहर के मोहल्ला गंगा दर बाजा से लेकर माधौपुर तक अभी कई मंदिर खण्डर के रूप में दिखाई दे रहे हैं। जिनमें लोगों ने अपने उपले तो किसी ने भूसा भर रखा है। मंदिरों के अंदर की शिवलिंग और मूर्तियां लोगों ने गायब कर दी हैं। दूसरी ओर देश के अंदर तेजी से बढ़ रही पश्चिमी सभ्यता के कारण भी युवाओं का ध्यान मोबाइल, लैपटाप आदि चीजों पर ज्यादा रहता है। कोई भी अपनी भारतीय संस्क्रति को समझना नहीं चाहता है।जिसका उदाहरण खण्डर हुए यह सैकड़ो मंदिर है। जिनकी तरफ किसी का ध्यान नही है जो कि हमारे पूर्वजों की धरोहर थे।
बहुत से मंदिर के स्थान ऐसे हैं जहां पर गांव के लोगों ने मकान या फसल बोने के लिए खेत बना लिया है। इस इलाके में जितने भी प्राचीन मंदिर हैं वह सभी चूना और दाल से बनाये गए होंगे। उनकी नक्काशी इतनी नायाब है कि वर्तमान समय में कोई मिस्त्री इस प्रकार के मंदिरों का निर्माण नहीं कर सकता है। दूसरी तरफ जिले कई समाज सेवियों ने इन मंदिरों की दुर्दशा को सुधारने के लिए कई मंत्रियों से बातचीत की लेकिन उसका कोई हल नही निकला।
भू-माफिया पहले तो जमीन कब्जा किया करते थे लेकिन यहां पर लोग मंदिरों पर कब्जा करके अपना घर या दुकान बना रहे हैं। हजारों शिव के दर्शन के लिए हजारों रूपया खर्च करके जाते हैं पर घर में मौजूद भगवान शिव को उपलों में दबातें हैं यह कैसी भगवान के प्रति श्रद्धा है।