इस नेता के सहारे लागातार चार बार चुनाव जीती थी बसपा, पर मायावती ने …जानिए अयाह शाह विधानसभा
फतेहपुर. फतेहपुर जिले की अयाह शाह विधानसभा क्षेत्र पिछले चुनावों के पहले हस्वा विधान सभा क्षेत्र के नाम से जानी जाती थी लेकिन चुनाव पूर्व कराये गये परिसीमन के बाद इस विधानसभा का नाम बदलकर अयाह शाह कर दिया गया।
1996 में अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले अयोध्या प्रसाद पाल पर बसपा प्रत्याशी के रूप में इस क्षेत्र ने भरोसा जताया जो 2012 तक के चुनाव में बरकरार रहा।
हालांकि बदले राजनीतिक परिद्रश्य में अयोध्या अब सपा के पाले में खड़े देखे जा रहे हैं। 1992 में अयोध्या प्रसाद पाल ने यह सीट भाजपा के महेंद्र प्रताप नारायण से छीनी थी। अपनी जीत का सिलसिला जारी रखते हुए 2002 और 2007 में भाजपा के सुरेंद्र सिंह गौतम को और 2012 के चुनाव में सपा के आनंद लोधी को 38242 के मुकाबले 49339 वोट हासिल करके अयोध्या पाल ने जीत के सिलसिले को लगातार चौथी बार बरकरार रखा है। यमुना तटीय क्षेत्र से लगने वाली इस विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओ की संख्या इस प्रकार है।
पुरुष मतदाता महिला मतदाता कुल मतदाता
140325 115479 255804
इस क्षेत्र मे जातीय आंकडों की बात की जाये तो यहां दलित और क्षत्रिय मतदाता लगभग बराबर की स्थिति मे हैं दलित मतदाताओं की संख्या जहां 20 फीसदी हैं वहीं क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या 19 फीसदी है। वैश्य मतदाताओं की संख्या लगभग 11 फीसदी एवम ब्राम्हण मतदाताओं की संख्या भी 12 फीसदी के आसपास है।
इस क्षेत्र में मुश्लिम मतदाताओं की संख्या 6 फीसदी और यादव मतदाताओं की संख्या 8 आठ फीसदी के आसपास है। इस क्षेत्र मे लोधी मतदाताओं की संख्या भी 10 फीसदी से ज्यादा है। यमुना तटीय क्षेत्र मे फैले इस विधानसभा क्षेत्र मे निषाद मतदाताओं की संख्या भी पर्याप्त है इस क्षेत्र मे लगभग बारह फीसदी के लगभग हैं।
चुनीवी मुद्दे
लोकसभा चुनावों के दौरान चली मोदी लहर के चलते इस क्षेत्र से भी भाजपा की लोकसभा प्रत्याशी को विरोधियों के मुकाबले ज्यादा वोट मिले थे।बुन्देलखण्ड की सीमा से लगने वाले इस विधानसभा क्षेत्र मे पेयजल एवम सिंचाई की सुविधा का काफी अरसे से अभाव रहा है। इस विधानसभा क्षेत्र मे बच्चों की उच्च शिक्षा के लिये सरकारी विद्यालयों का अभाव है।बदतर विद्युत आपूर्ति यहां के लोगों के लिये हमेशा चुनावी मुद्दा रहे हैं। तमाम चुनावी वादों के बावजूद मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे इस क्षेत्र मे उद्योग धन्धे लगवाने की बात तो दूर यहां मूलभूत समस्याओं का भी समाधान नही हो पाया है।